उत्तर भारत के लोगों को लगता है कि दक्षिण भारत में मुख्य भाषा के रूप में इंग्लिश बोली जाती है इसलिए वहाँ के लोगो की इंग्लिश बहुत अच्छी होती है परन्तु क्या ये बात पूर्णतया सच है आइये समझते हैं।
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Toggleदक्षिण भारत में कौन कौन से राज्य आते हैं।
दक्षिण भारत के राज्यों में कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, केरल, तेलंगाना और तमिलनाडु शामिल हैं जिनमे कर्नाटक में कन्नड़, आंध्रप्रदेश में तेलगु, केरल में मलयालम, तेलंगाना में तेलगु, और तमिलनाडु में तमिल बोली जाती है।
सँख्या | राज्य | राज्य भाषा | राजधानी |
1 | कर्नाटक | कन्नड़ | बेंगलुरु |
2 | आंध्रप्रदेश | तेलगु | हैदराबाद |
3 | केरल | मलयालम | तिरुवनंतपुरम |
4 | तेलंगाना | तेलगु | हैदराबाद |
5 | तमिलनाडु | तमिल | चेन्नई |
2 जून 2014 को तेलंगाना को आंध्रप्रदेश से अलग करके अलग राज्य का दर्जा दे दिया गया। इसलिए चूँकि ये दोनों ही पहले एक राज्य का हिस्सा थे इसलिए दोनों में तेलगु ही बोली जाती है। हैदराबाद को 10 बर्षों के लिए सयुंक्त रूप से तेलंगाना और आंध्रप्रदेश की राजधानी बनाया गया।
दक्षिण भारत के लोगो की इंग्लिश बाकि भारत के लोगो से अच्छी होती है इसके पीछे की मानसिकता को समझने का प्रयास करते हैं।
उत्तर भारत और दक्षिण भारत के मध्य दुरी
उत्तर भारत और दक्षिण भारत के मध्य दुरी लगभग 3000 किलो मीटर है। अधिकतर उत्तर भारत के लोग अपने पुरे जीवनकाल में दक्षिण भारत की यात्रा नहीं कर पाते और वो दक्षिण भारत के लोगो की मानसिकता और उनके खान पान का अनुमान केवल फिल्मो के नायक-नायिकाओ और कुछ खिलाडियों को टेलीविज़न पर देखकर लगाते हैं।
और चूँकि ये अधिकतर लोग अच्छे पढ़े लिखे होते हैं इसलिए इनकी इंग्लिश वास्तव में अच्छी होती है। जबकि गॉंव के लोगों के बारे में दक्षिण भारत्त की फिल्मों में भी दिखाया जाता है कि वो लोग केवल स्थानीय भाषा को ही प्राथमिकता देते हैं। और उनकी इंग्लिश इतनी अच्छी नहीं होती।
दक्षिण भारत के लोगो को हिंदी सीखनी पड़ती है जबकि उत्तर भारत के लोगो में ये खून में होती है।
उत्तर भारत में जो भाषाएँ बोली जाती हैं वो हिंदी से मिलती जुलती ही होती हैं। उत्तर भारत में अगर कोई बजुर्ग पढ़ा लिखा न भी हो तो भी वो हिंदी बड़ी आसानी से बोल लेता है क्यूंकि उत्तर भारत की राज्य भाषाओं में अधिकतर शब्द हिंदी के ही इस्तेमाल होते हैं।
इसके बिपरीत दक्षिण भारत की राज्य भाषाएं हिंदी भाषा से बिलकुल अलग हैं। ये भाषाएं लच्छेदार होती हैं और शायद इसलिए हिंदी आम बोलचाल की भाषा नहीं बन पाती। इसलिए उत्तर भारत के लोग जब दक्षिण भारत के लोगो को हिंदी का इस्तेमाल करते देखते हैं (खासकर होता की जगह होती या आती की जगह आता ) तो उनको लगता है कि दक्षिण भारत के लोगो की हिंदी अच्छी नहीं होती क्यूंकि वो इंग्लिश में निपुण होते हैं।
भाषा में विविधता
दक्षिण भारत के सभी राज्यों में भाषा में बहुत विविधता पाई जाती है। कन्नड़,मलयालम,तमिल और तेलगु ये सभी भाषाएं एक दूसरे से पूर्णत: भिन्न हैं। इसलिए इन राज्य के लोगों को अपने राज्य से बाहर दूसरे राज्यों के लोगो से संचार (communication) के लिए इंग्लिश पर निर्भर रहना पड़ता है।
इसके बिपरीत उत्तर भारत के लोगो के साथ ऐसा नहीं है वहाँ पर सारी भाषाएं एक दूसरे के साथ मिलती जुलती हैं और थोड़े दिन तक कोई भी दूसरे राज्य में रहकर उस राज्य की भाषा को सीख सकता है।
पंजाबी, पहाड़ी, राजस्थानी, गढ़वाली, बिहारी और भोजपुरी में कई शब्द आपस में मिलते जुलते होते हैं। इसलिए कोई भी थोड़ी सी मेहनत से पडोसी राज्यों की भाषा सीख सकता है।
संक्षेपण
वास्तव में देखा जाये तो दक्षिण भारत के लोग आपस में वहां की स्थानीय भाषाओं में ही बात करते हैं और ये राज्य हजारों सालों से अपनी संस्कृति और भाषा को बचाये रखे हुए हैं। अत: दक्षिण भारत के लोग इंग्लिश बढ़िया बोलते हैं ये एक मिथ है। और ये बात पूर्णत: सच नहीं है।
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