द्वितीय युद्ध के बाद यहूदियों को इजराइल के रूप में एक देश देकर फिलिस्तीन में बसाया गया। 1904 में ब्रिटेन ने अफ्रीका में युगांडा प्रदेश में यहूदियों को बसाने का प्रस्ताव रखा था । परन्तु विश्व यहूदी संगठन ने इसे अस्वीकृत कर दिया और केवल फिलिस्तीन में बसने को अपना चरम लक्ष्य बनाया।
इसका मुख्य कारण था कि यहूदियों की बाईबल के ओल्ड टेस्टामेंट के अनुसार फिलिस्तीन ही वो राज्य है जिसे यहूदियों के ईश्वर याहवे ने यहूदियों को देने का बादा किया था।
वो इस जमीन को (Promise Land) के नाम से जानते हैं। इसके अलावा यहाँ पर एक पवित्र स्थल जेरुसलम है जो तीनो धर्मो यहूदिओं,ईसाईयों और मुसलमानो के लिए एक पवित्र स्थल है।
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Toggleक्यों है जेरुसलम तीनो धर्मो के लिए एक पवित्र धर्म स्थल। जेरूसलम कहाँ पर स्थित है और जेरूसलम क्यों प्रसिद्ध है
जेरुसलम इसराइल में स्थित एक धार्मिक नगर है। दुनिया में कोई भी मुसलमान प्रार्थना करता है तो उसका मुँह कावा की तरफ होता है
परन्तु दुनिया का कोई भी यहूदी अगर प्रार्थना करता है तो उसका मुँह जेरुसलम की तरफ होता है। मोहम्मद पैगम्बर भी कावा से पहले जेरुसलम की तरफ मुँह करके नमाज़ पढ़ते थे।
जेरुसलम की यात्रा ईसाई लोग भी करते हैं क्यूंकि यहीं पर ईसा मसीह को शूली पर चढ़ाया गया था और यहीं पर वो दोवारा जी उठे थे । जेरुसलम तीनो धर्मो के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है आइये समझते हैं।
टेंपल माउंट किस लिए प्रसिद्ध है -टेंपल माउंट किसने बनवाया था
जेरुसलम में यहूदियों का पवित्र टेम्पल माउंट था जिसे राजा सोलोमन ने बनाया था। इस मंदिर को कई बार बनाया और कई बार नष्ट किया गया।
इस मंदिर की भूमि पर ही अभी बर्तमान में मुस्लिम-यहूदी विवाद चल रहा है। मुसमलान इसे हरम अल शरीफ़ कहते हैं जिसका मतलब होता है पवित्र स्थान।
यहुदिओं के अनुसार हजरत मूसा को ईस्वर के एक फरिस्ते के माध्यम से जो 10 कमांडमेंट मिली थीं उनको एक प्लेट पर उकेरने के बाद उनको एक संदूक में डालकर इसी मंदिर के अंदर रखा गया था और जिस जगह पर इन्हे रखा गया था उसे Holy of the Holies कहा गया।
बाद में इस मंदिर के नष्ट होने के बाद यहुदिओं के राजा हेरोड के द्वारा इसे बनाया गया। परन्तु ये मंदिर बाद में कई बार बना और नष्ट किया गया।
जहाँ पर प्राचीन टेम्पल माउंट था उस जगह के अंदर ही ईसाईयों का द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर है, मुसलमानों की अल अक्सा मस्जिद है,और यहूदियों और मुसलमानों का डोम ऑफ़ दा रॉक्स और डोम ऑफ़ दा चैन है।
इस समय इस मंदिर की केवल एक दिवार बची है जिसे यहूदी लोग Western Wall या पश्चिमी दिवार के नाम से जानते हैं।
अल अक्सा मस्जिद के बारे में मुस्लिम समाज की मान्यता – मस्जिद ए अक्सा का इतिहास क्या है
अल अक़्सा मस्जिद मुसलमानों का तीसरा सबसे पवित्र स्थान है । इसकी देख रेख एक इस्लामिक ट्रस्ट करती है जिसे वक़्फ़ कहते हैं।
मुसलमानों का ये मानना है कि मोहम्मद पैगम्बर ने मक्का से यहां तक की यात्रा बुराक घोड़े पर एक रात में तय की थी और यहां पैगंबरों की आत्माओं से बातचीत की थी। और यहाँ पर नमाज पढ़ी थी।
डॉम ऑफ़ दा रॉक्स के बारे में मुस्लिम समाज की मान्यता- डोम ऑफ द रॉक यहूदी धर्म के लिए महत्वपूर्ण क्यों है
अल अक़्सा मस्जिद से कुछ दुरी पर डोम ऑफ़ द रॉक्स का पवित्र स्थल है। इसके अंदर ही वो चट्टान है जिसके बारे में ये माना जाता है कि पैगंबर मोहम्मद ने इसी चट्टान से बुराक घोड़े पर सवार होकर स्वर्ग की यात्रा की थी।
जबकि यहूदियों का मानना है कि ये वो जगह है जहाँ से दुनिया बनने की शुरुआत हुई थी और हजरत इब्राहिम ने अपने बेटे इश्हाक की बलि देने की कोशिश यहीं पर की थी।
बाद में एक देवदूत के संकेत पर इसहाक को बचाया गया और एक मेमने की बलि दी गई। कई यहूदी डोम ऑफ़ द रॉक को ही Holy of the Holies मानते है। अर्थात उनके अनुसार ये वो जगह है जहाँ पर ईश्वर की 10 कमांडमेंट्स एक प्लेट पर उकेरकर एक संदूक में रखी गईं थी।
डोम ऑफ चेन क्या है इसका क्या महत्व है
डोम ऑफ़ द रॉक्स के साथ में ही डॉम ऑफ़ द चेन है जिसे मुस्लिम भी पवित्र मानते हैं और यहूदी भी। यहूदियों के अनुसार, यहुदिओं के राजा सोलोमन जिन्होंने सबसे पहले टेम्पल माउंट बनाया था वो इसके अंदर बैठ कर न्याय करते थे।
परन्तु इस्लाम के लोग मानते हैं कि जब कयामत का दिन आएगा तो सब मुर्दे कब्र से जी उठेंगे और उनकी स्वर्ग की यात्रा यही से शुरू होगी जिन्होंने अच्छे कर्म किये होंगे वो स्वर्ग जायेंगे और जिन्होंने बुरे कर्म किये होंगे वो यहीं से वापस हो जायेंगे।
परन्तु वक़्फ़ बोर्ड के अनुसार जब डोम ऑफ़ द रॉक्स का भवन निर्माण हो रहा था तो वहां काम करने वाले लोगो के बैठने के लिए ये डोम ऑफ चेन बनाई गई थी।
यहूदियों की पवित्र दीवार क्या है
अल अक्सा मस्जिद के पश्चिमी ओर Western Wall या पश्चिमी दीवार है। ये टेम्पल ऑफ़ दा माउंट का बचा हिस्सा है। माना जाता है कि कभी यहूदियों के मंदिर का पवित्र स्थान Holy of the Holies, यहीं पर था। आजकल Western Wall या पश्चिमी दीवार वो स्थान है जहां से यहूदी लोग होलीज़ ऑफ़ द होली की प्रार्थना कर सकते हैं।
द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर
इस मंदिर की भूमि पर ही ‘द चर्च आफ़ द होली सेपल्कर’ है और ये मान्यता है कि ईसा मसीह को यहीं पर शूली पर चढ़ाया गया था और उनकी मौत हो गई थी। ईसा मसीह का मक़बरा सेपल्कर के अंदर है और ये मान्यता है कि यहीं से वो दोवारा जी उठे थे। इसलिए ईसाई समुदाय में इस जगह का विशेष महत्व है।
केव्स ऑफ़ द पैट्रिअरच्स का महत्व
हेव्रोन जो की एक फिलिस्तीनी इलाका है, जहाँ पर हजरत इब्राहिम और उनकी पत्नी की मृत्यु हुई थी। इब्राहिम के बेटे इसहाक और उसकी पत्नी रेबिका की मृत्यु भी हेव्रोन में ही हुई थी।
इसहाक के बेटे याकूव और उनकी पत्नी की मृत्यु भी वहीं पर हुई। तो हेव्रोन में केव्स ऑफ़ द पैट्रिअरच्स है जिसमे इन 6 पवित्र लोगों की समाधी है जो यहुदिओं के राजा हेरोड के द्वारा बनाई थी।
ये हेब्रोन जेरुसलम से लगभग 30 किलोमीटर दुरी पर स्थित है और चूँकि हजरत इब्राहिम को ईसाई, मुसलिम और यहूदी तीनो धर्मो के लोग मानते हैं। इसलिए ये केव्स ऑफ़ द पैट्रिअरच्स तीनो धर्मो के लोगो के लिए आस्था का केंद्र है।
बेथलहम किस लिए प्रसिद्ध है
फिलिस्तीन में बेथलहेम वो जगह है जहाँ पर चर्च ऑफ़ नेटिविटी है। यहीं पर ईसा मसीह का जन्म हुआ था। इसलिए ये ईसाईयों के लिए एक पवित्र स्थल है। इजराइल के नजारथ में ईसा मसीह ने अपना जीवन व्यतीत किया।
माउंट ज़िओन, ईसा मसीह के लास्ट सपर की वजह से मशहूर है ये भी जेरुसलम में है यहाँ पर ईसा मसीह ने बीरबार के दिन अपना अंतिम भोजन किया था उसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और उन्हें शली पर चढ़ा दिया गया था।
संक्षेपण
इस प्रकार हम देखते हैं कि फिलिस्तीन वो भूमि है जो तीनो धर्मो की आस्था का केंद्र है। और इस प्रकार इसराइल की भूमि को यहुदिओं के ईश्वर ने यहुदिओं को देने का बचन दिया था। इसलिए यहुंदियों ने यूगांडा के स्थान पर इसराइल को अपने आवास क्षेत्र के रूप में चुना।
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