रोमन लिपि को लैटिन लिपि भी कहा जाता है क्यूंकि ये लैटिन लोगों की लिपि थी। लैटिन एक प्राचीन इतालवी जनजाति थी जो इटली के लैटियम क्षेत्र में रहते थे।
लैटियम की राजधानी रोम थी इसलिए ये रोमन लिपि के नाम से भी प्रसिद्ध हुई। रोमन लिपि का क्षेत्र काफी बिस्तृत है क्यूंकि जहाँ जहाँ रोमन साम्राज्य का विस्तार हुआ ये लिपि फैलती गई।
कई आधुनिक यूरोपीय भाषाएं इसी लिपि में लिखी जाती हैं जिनमे जर्मन भाषाएं, स्लाविक भाषाएं, यूरोपीय भाषाएं, अफ्रीकी भाषाएं तथा एशियाई भाषाएं शामिल हैं।
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Toggleरोमन लिपि और देवनागरी लिपि में अंतर
देवनागरी लिपि | रोमन लिपि |
देवनागरी लिपि में शब्द के ऊपर रेखा (ー) लगाई जाती है जिसे शीर्ष रेखा कहा जाता है | रोमन लिपि में इस तरह से कोई शीर्ष रेखा नहीं लगाई जाती इसलिए रोमन लिपि देवनागरी की तुलना में तेजी से लिखी जा सकती है। |
देवनागरी लिपि मुख्य रूप से भारतीय उपमहाद्वीप की भाषाओं जैसे संस्कृत, हिंदी, गुजराती, नेपाली, मराठी आदि को लिखने में उपयोग होती है | रोमन लिपि का उपयोग दुनिया की कई भाषाओं में किया जाता है जैसे अंग्रेजी स्पेनिश, इतालवी,फ्रेंच आदि |
देवनागरी में जो बोला जाता है वही लिखा जाता है। इस तरह से देवनागरी लिपि एक वैज्ञानिक लिपि है। | रोमन लिपि में कई बार शब्द साइलेंट होते हुए भी लिखे जाते हैं जिनका कोई महत्व नहीं होता जैसे knife -k साइलेंट , know- k साइलेंट , comb- b साइलेंट ,listen- t साइलेंट आदि |
देवनागरी लिपि में किसी का आदर करने के लिए अलग अलग शब्द हैं जैसे हिंदी भाषा में छोटों को तुम और बड़ों को आप कहा जाता है। | रोमन लिपि में जैसे अंग्रेजी में छोटे और बड़े दोनों को “you” कहकर सम्बोधित किया जाता है। |
देवनागरी में भूतकाल, बर्तमान और भविष्य के शब्दों का आसानी से पता लगाया जा सकता है | रोमन लिपि में कई मामलों में ये पता लगाना मुश्किल होता है जैसे “they read novels”. ये बाक्य बर्तमान और भूतकाल दोनों में एक जैसा ही लिखा जाता है केवल पढ़ा अलग तरीके से जाता है |
देवनागरी की हिंदी लिपि पूरी तरह से वैज्ञानिक ढंग से लिखी गई है। जैसे क की पूरी लाइन के पुरे बर्ण कंठ से बोले जाते हैं। च के तालु से, त के दांतों से तथा प के होंठों से बोले जाते हैं | रोमन लिपि की किसी भी भाषा में इस तरह की वैज्ञानिकता का अभाव है |
देवनागरी का इस्तेमाल रोमन लिखने के लिए कम ही होता है। | रोमन की अंग्रेजी भाषा का इस्तेमाल आजकल हिंदी में मैसेज भेजने के लिए किया जा रहा है |
देवनागरी लिपि की उत्पति प्राचीन भारतीय लिपियों से हुई | रोमन लिपि की उत्पति रोमन साम्राज्य से हुई |
देवनागरी लिपि का नामकरण कैसे हुआ था
देवनागरी लिपि की शुरुआत प्राचीन ब्राह्मी लिपि से हुई जिसकी जानकारी हमें सम्राट अशोक के लिखे गए शिलालेखों से मिलती है। धीरे धीरे ब्राह्मी लिपि से कई लिपियों का विकास हुआ जिनमे नागरी लिपि भी एक है।
नोट:- जब कोई लिपि लोगो के माध्यम से किसी अलग जगह पर पहुँचती है तो उस जगह की बोली के अनुसार उसमे अलग अक्षर जोड़ने की आवस्य्क्ता पड़ती है जब वो अक्षर जुड़ जाते हैं तो उस लिपि का नाम उस जगह के अनुसार बदल जाता है परन्तु भाषा परिवार एक ही रहता है क्यूंकि दोनों लिपियाँ एक ही भाषा परिवार से निकली होती हैं।
जैसे हिमाचल प्रदेश में गोबर के सड़ाने को मल और सरसों का तेल निकालने की प्रक्रिया में निकले व्यर्थ पदार्थ को खल बोला जाता है परन्तु यहाँ पर “ल” का उच्चारण ऐसे नहीं होता बल्कि “ल” का उच्चारण अलग होता है जो हिंदी भाषा में नहीं मिलता ये “ळ” हमें हिमाचल प्रदेश की टांकरी लिपि में मिल जाता है।
कुछ इतिहासकारों के अनुसार, गुजरात के नागर ब्राह्मणो के द्वारा प्रयोग होने के कारण नागरी लिपि का नाम नागरी पड़ा। जो बाद में काशी में उपयोग होने के कारण देवनागरी कहलाई।
देवनागरी दो शब्दों से मिलकर बना है देव + नगर। इस प्रकार देवनागरी लिपि का शाब्दिक अर्थ है देवताओं की लिपि या नगरों की लिपि। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जब नागरी लिपि काशी में उपयोग होने लगी तो इस लिपि को देवनागरी कहा जाने लगा।
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काशी हिन्दू धर्म का एक पवित्र धार्मिक स्थल है यहाँ पर काशी विश्वनाथ मंदिर है जो भगवान् शिव को समर्पित है इसलिए काशी को शिव की नगरी भी कहा जाता है और चूँकि काशी को देवताओं की नगरी भी कहा जाता है इसलिए इस लिपि का नाम देवनागरी पड़ा।
देवनागरी लिपि के ऐतिहासिक स्त्रोत
डॉ॰ द्वारिका प्रसाद सक्सेना जी बताते हैं कि देवनागरी लिपि का प्रयोग सबसे पहले गुजरात के नरेश जयभट्ट (700-800) के शिलालेख में मिलता है।
आठवीं शताब्दी में चित्रकूट और 9वीं शताब्दी में बड़ौदा के ध्रुवराज के राज्यादेशों में इस लिपि का बर्णन मिलता है।
परन्तु इसका मतलब ये नहीं कि देवनागरी लिपि इससे पहले उपयोग नहीं हुई। गुजरात से पहली और चौथी शताब्दी के कुछ अभिलेख प्राप्त हुए हैं जिनकी भाषा संस्कृत थी और लिपि देवनागरी जिससे पता चलता है कि देवनागरी का उपयोग काफी पहले शुरू हो चूका था।
रुद्रदमन का गिरनार अभिलेख जो पहली शताब्दी में गुजरात के जूनागढ़ में गिरनार पर्वतों पर लिखा गया था उसकी लिपि नागरी लिपि से मिलती जुलती है। देवनागरी लिपि, लगभग 10वीं शताब्दी में नागरी लिपि से बिकसित हुई।
7बीं शताब्दी में देवनागरी का उपयोग होना शुरू हो गया था और 10वीं शताब्दी आते आते ये पूर्णत: बिकसित हो चुकी थी।
ग्यारहवीं शताब्दी के चोलों के राजा राजेन्द्र के समय के जो सिक्के प्राप्त हुए हैं उन पर भी देवनागरी लिपि अंकित पाई गई है ।
प्रतिहारों के राजा, राजा महेंद्रपाल (891-907) के समय का जो दानपत्र प्राप्त हुआ है उस पर भी देवनागरी लिपि अंकित है।
इस प्रकार अन्य कई राजाओं जैसे महमूद गजनवी, मुहम्मद बिनसाम, जलालुद्दीन रज़िया, जलालुद्दीन हीरो सानी, सानुद्दीन फिरोजशाह प्रथम, शम्सुद्दीन इल्तुतमिश, बहराम शाह, नासिरुद्दीन महमूद, मुईजुद्दीन, मुईजुद्दीन कैकूबाद, गयासुद्दीन बलवन आदि ने किसी न किसी रूप में देवनागरी लिपि में व्यवहार किया है।
देवनागरी लिपि में कितने अक्षर हैं?
देवनागरी लिपि में कुल 52 अक्षर होते हैं जिनमे 14 स्वर और 38 व्यंजन होते हैं।
रोमन लिपि में कितने अक्षर हैं?
रोमन लिपि जिसका इस्तेमाल फ्रांस, इटली, जर्मनी, स्पेन, यूनाइटेड किंगडम, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, कनाडा और अफ्रीका के कई देशों में किया जाता है इस लिपि में 26 अक्षर होते हैं।
S No | Capital Letters | Lowercase Letters |
1 | A | a |
2 | B | b |
3 | C | c |
4 | D | d |
5 | E | e |
6 | F | f |
7 | G | g |
8 | H | h |
9 | I | i |
10 | J | j |
11 | K | k |
12 | L | l |
13 | M | m |
14 | N | n |
15 | O | o |
16 | P | p |
17 | Q | q |
18 | R | r |
19 | S | s |
20 | T | t |
21 | U | u |
22 | V | v |
23 | W | w |
24 | X | x |
25 | Y | y |
26 | Z | z |
देवनागरी लिपि में 1 से 20 तक गिनती
देवनागरी | हिंदी | रोमन | इंग्लिश |
१ | एक | I | One |
२ | दो | II | Two |
३ | तीन | III | Three |
४ | चार | IV | Four |
५ | पांच | V | Five |
६ | छ: | VI | Six |
७ | सात | VII | Seven |
८ | आठ | VIII | Eight |
९ | नौ | IX | Nine |
१० | दस | X | Ten |
११ | ग्यारह | XI | Eleven |
१२ | बारह | XII | Twelve |
१३ | तेरह | XIII | Thirteen |
१४ | चौदह | XIV | Fourteen |
१५ | पंद्रह | XV | Fifteen |
१६ | सोलह | XVI | Sixteen |
१७ | सत्रह | XVII | Seventeen |
१८ | अठारह | XVIII | Eighteen |
१९ | उन्नीस | XIX | Ninteen |
२० | बीस | XX | Twenty |
टांकरी लिपि कैसे लिखी जाती है और ये बिलुप्त क्यों हो रही है पढ़ने के लिए क्लिक करें
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