बिहार का नाम सुनते ही एक ही शब्द ध्यान में आता है बिहारी। ऐसी औरतें जिन्होंने पीठ पर बच्चे बांधे होते हैं और खुद पत्थर तोड़ रही होती हैं। ऐसे बच्चे जो सर्दियों में भी बिना कपड़ों के नंगे घूम रहे होते हैं और जो बहुत छोटी उम्र में मजदूरी करना शुरू कर देते हैं।
ऐसे लोग जो बहुत सस्ती मजदूरी पर उपलब्ध हो जाते हैं और जो बहुत मेहनती होते हैं। कोई भी अपने आपको बिहार राज्य से कहलाना पसंद नहीं करता और बिहार का निवासी होना एक अपमानजनक बात मानी जाती है।
लेकिन इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब बिहार का निवासी होना अत्यधिक सम्मान का सूचक था। बिहार के नाम से ही पुरे भारत को जाना जाता था और बाहरी देशों के लोग केवल बिहार को देखने और ज्ञान प्राप्त करने के लिए ही यहाँ आते थे।
बिहार जहाँ की मिथिला (जिला सीतामढ़ी) में माता सीता का जन्म हुआ था जिनका विवाह उत्तर प्रदेश की अयोध्या के राजा राम से हुआ था।
बिहार जिसके बोधगया में गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई। बिहार जहाँ के जम्भिकाग्राम में ऋजुपालिका नदी के किनारे महावीर को ज्ञान प्राप्त हुआ।
बिहार जहाँ नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्व के सबसे पहले अंतरास्ट्रीय विश्विद्यालय थे। जहाँ विदेशों से पढ़ने के लिए छात्र छात्राएं आते थे।
बिहार जहाँ से किसी समय चन्द्रगुप्त मौर्य और चाणक्य ने अंखंड भारत की नीव रखी थी और चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते और बिन्दुसार के पुत्र सम्राट अशोक ने उनके इस सपने को पूरा किया था।
बिहार जिसके वैशाली जनपद को दुनिया का पहला गणतंत्र माना जाता है यहाँ पर भगवान महावीर ने जन्म लिया था। बिहार जिसे किसी समय मगध और पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था।
आज हम बात करेंगे उस बिहार की जो समृद्धि के उस शिखर तक 2000 बर्ष पहले पहुँच चूका था जहाँ पहुंचना विश्व की बड़ी बड़ी सभ्यताओं के लिए अभी भी असंभव है।
जिस बिहार के निवासियों को इस समय दूसरे राज्यों में जाकर दर दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं तथा दूसरे राज्यों के स्थानीय निवासियों की भारी उपेक्षा का सामना करना पड़ता है बात करते हैं उनके समृद्ध इतिहास के बारे में।
पहले हम बात करते हैं बिहार राज्य की सीमाओं की क्यूंकि उससे पुराने समय के बिहार को समझने में मदद मिलेगी।
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Toggleबिहार की सीमा कितने राज्यों को स्पर्श करती है
बिहार राज्य की सीमा उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड और नेपाल से लगती है। भगवान बुध का जन्म नेपाल के लुम्बिन में हुआ था और बिहार के बोधगया में बोधि वृक्ष के नीचे उनको ज्ञान की प्राप्ति हुई। नेपाल और बिहार की सीमा आपस में मिलती है।
उत्तर प्रदेश के राजा राम का विवाह मिथिला (जो कि बिहार में हैं ) की राजकुमारी सीता से हुआ। उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमाएं एक दूसरे के साथ लगती हैं। मैथिलि भाषा बिहार की मुख्य भाषाओं में से एक हैं।
अंग्रेजो के समय में जिसको भी बंगाल की दीवानी मिलती थी उसको साथ में बिहार की दीवानी भी मिलती थी क्यूंकि दोनों राज्यों को एक कर दिया गया था फिर 22 मार्च 1912 को जो बंगाल का विभाजन हुआ था उसमे बंगाल को उड़ीसा और बिहार से अलग किया गया था।
फिर 15 नवंबर 2000 को झारखण्ड को भी बिहार से अलग करके अलग राज्य बनाया गया और झारखंड, भारत का 28वा राज्य बना। बिहार की ज्यादातर सीमाएं उत्तर प्रदेश और झारखंड से ही लगती हैं।
बिहार का असली नाम क्या था। पाटलिपुत्र शहर को कैसे खोजा गया।
प्राचीन समय में बिहार को मगध के नाम से जाना जाता था जिसकी राजधानी पहले राजगीर (राजगृह) थी जिसे बाद में पाटलिपुत्र में स्थापित किया गया था। बर्तमान पटना जो बिहार की राजधानी है वो ही पहले पाटलिपुत्र हुआ करती थी।
पटना ही पाटलिपुत्र है इस बात का पता चला 7 फरबरी 1913 को जब पटना शहर के नीचे पाटलिपुत्र नगर के अवशेष खोजे गए। लॉरेंस आस्टेन वैडेल जो ब्रिटिश सेना में कर्नल थे उन्होंने प्राचीन स्त्रोतों के आधार पर पटना को पाटलिपुत्र के नीचे दबे होने की बात कही।
परन्तु अंग्रेजी सरकार ने यहाँ की खुदाई के लिए कोई पैसा नहीं दिया। ये बात 1890 से 1900 के बीच की है उसके बाद रतन टाटा जी ने इस शहर की खुदाई के लिए अपना योगदान दिया।
उन्होंने इस खुदाई के लिए हर साल 20000 रूपये दिए और ये रूपये वो लगातार तब तक देते रहे जब तक खुदाई पूरी नहीं हो गई।
सर रतन टाटा, दोराबजी टाटा के बेटे थे जिनका जन्म 1871 में हुआ था ये अभी वाले रत्न टाटा नहीं थे ।
बिहार को किसने स्थापित किया
बिहार जो प्राचीन समय में मगध था। मगध भारत के 16 महाजनपदों में से एक था। मगध के पहले शासक हर्यक वंश के राजा बिंबिसार थे जिन्होंने 544 ईसा पूर्व से 492 ईसा पूर्व तक शासन किया।
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इसके अलावा मगध पर शिशुनाग वंश और नंद वंश और मौर्य वंश का शासन रहा।
मगध क्यों प्रसिद्ध था। बिहार ने दुनिया को क्या दिया है
मगध बहुत सी चीज़ों के लिए प्रसिद्ध था जिनमे से प्रमुख हैं
- गया
- बोधगया
- पावापुरी
- पाटलिपुत्र
- नालंदा और विक्रमशिला
- मिथिला
- वैशाली
- राजगृह
बिहार का गया क्यों प्रसिद्ध हैं
बिहार ने सबसे ज्यादा प्रसिद्धि और समृद्धि पाई धर्म के क्षेत्र में। इस भूमि ने कई संस्कृतियों को अपने अंदर धारण किया हुआ है। बिहार के गया जिले में फल्गु नदी के किनारे बसा है भारत का एक प्राचीन नगर “गया“।
ये स्थान सनातनी हिन्दू लोगो के लिए एक पवित्र स्थान है। पुरे भारत बर्ष में केवल यही एक स्थान है जहाँ पर अगर कोई भी दान दक्षिणा या पूजा की जाती है तो इसका फल पूजा करने वाले के पूर्वजों को मिलता है। पितृ दोष से प्रभावित व्यक्ति यहाँ का दौरा ज़रूर करता है।
बिहार में बोधगया क्यों प्रसिद्ध हैं
बोध गया भी गया जिले में , “गया” से लगभग 15 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है। ये नगर भी फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ है।
नोट:-फल्गु नदी वही नदी है जिसे प्राचीन समय में निरंजना नदी कहा जाता था और जिस निरंजना नदी के किनारे भगवान बुध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
बोध गया में ही बौद्ध धर्म का जन्म हुआ उसके बाद बौद्ध धर्म पुरे विश्व में फैला। ये बिहार की धरती है जिसने भगवान बुद्ध को ज्ञान दिया और बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
बोधगया को यूनेस्को ने 2002 में विश्व विरासत स्थल घोषित किया है। मंदिर के अंदर एक बोधि वृक्ष है, जिसके नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। इस मंदिर का निर्माण सम्राट अशोक ने 260 ईस्वी में करवाया था।
नोट :- गया और बोधगया दोनों ही बिहार के गया जिले में फल्गु नदी के किनारे बसे हैं और दोनों के बीच की दुरी लगभग 15 किलोमीटर है। गया सनातनी हिन्दुओ का तथा बोधगया बोद्धो का पवित्र धार्मिक स्थल है।
बोधगया में घूमने योग्य अन्य स्थल -बराबर गुफाएं , प्रेतशिला पहाड़ी, नागार्जुन गुफाएं , फोवा सेंटर, विष्णुपद मंदिर, ताइवानी मंदिर, रूट इंस्टीट्यूट, कर्मा मंदिर और बोधगया मल्टीमीडिया संग्रहालय आदि।
बिहार में पावापुरी क्यों प्रसिद्ध है
सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा का पाठ सबसे पहले जैन धर्म ने सिखाया। जैन धर्म अहिंसा के उस स्तर तक पहुँच चूका है जिस स्तर को दूसरे धर्म के लोग सोच भी नहीं सकते हासिल करना तो दूर की बात है।
सम्पूर्ण विश्व को अहिंसा का पहला पाठ इसी धरती पर महावीर जैन के द्वारा पढ़ाया गया। महावीर का जन्म इसी मगध की धरती पर वैशाली में हुआ और उन्हें आत्मज्ञान मगध (बिहार) के पावापुरी में प्राप्त हुआ था।
इसलिए पावापुरी जैन धर्म का पवित्र स्थल है। ये जल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। पावापुरी बिहार के नालंदा जिले में बोधगया से लगभग 90 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है।
तख्त श्री हरमंदिर जी, पटना साहिब
सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म बिहार के पटना साहिब में हुआ। इस गुरूद्वारे का निर्माण महाराजा रणजीत सिंह ने किया। गुरु ग्रन्थ साहिब को अंतिम गुरु की उपाधि देने वाले गुरु गोबिंद सिंह जी की जन्म भूमि है पटना साहिब
पाटलिपुत्र क्यों प्रसिद्ध है। पाटलिपुत्र से पटना बनने के कहानी। बिहार का स्वर्ण युग क्या था
पाटलिपुत्र, मगध का सबसे प्रसिद्ध शहर था इसका इतिहास शुरू होता है 490 ईस्वी पूर्व से जब हर्यक वंश के शासक अजातशत्रु ने इसे अपनी राजधानी बनाया।
लोककथाओं के अनुसार राजा पत्रक ने अपनी रानी पाटली के लिए इस शहर को बनाया इसलिए इसका नाम पाटलिपुत्र पड़ा।
ये भारत के 16 महाजनपदों में से एक मगध की राजधानी थी। एक राष्ट्र की कल्पना इसी पाटलिपुत्र से साकार हुई उससे पहले भारतबर्ष कई जनपदों में बंटा हुआ था। आचार्य चाणक्य ने अखंड भारतबर्ष का सपना इसी पाटलिपुत्र में देखा था।
आचार्य चाणक्य ने चन्द्रगुप्त मौर्य को राजा बना के इसी पाटलिपुत्र में भारतबर्ष को ये विचार दिया कि केवल राजा का बेटा ही राजा नहीं हो सकता। इसी चन्द्रगुप्त मौर्य का पोता जो अति महत्वकांशी शासक था
जिसके राज्य की सीमाएं ईरान की पूर्वी सीमा तक फैली हुई थी। उसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी। उस चण्ड अशोक को धार्मिक अशोक बनाया इसी धरती ने और उसी अशोक के अशोक स्तम्भ -अशोक चक्र और 4 सिंहो वाले चिन्ह को भारत सरकार ने अपनाया।
गुप्त काल को भारत का स्वर्ण युग कहा जाता है, सोने के सिक्के इसी काल में चलाये गए। विज्ञान, कला, साहित्य, चिकित्सा, गणित, संगीत, खगोलीय विद्या, धर्म तथा दर्शन हर क्षेत्र में नए नए अनुसंधान गुप्तकाल में हुए।
जो बाद में भारतीय संस्कृति का आधार बने। लोगो को किसी भी धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता थी। और ये सब हो रहा था इस पाटलिपुत्र की धरती पर।
आर्यभट्ट जिन्होंने जीरो की खोज की उन्होंने अपनी पढ़ाई कुसुमपुरा (आधुनिक पटना) में ही की थी। आर्यभट्ट ने नालंदा विश्वविद्यालय से भी पढ़ाई की थी, क्योंकि यह विश्वविद्यालय पाटलिपुत्र के पास ही स्थित था और इसमें एक खगोलीय वेधशाला थी।
मौर्यशासकों ने तक्षशिला (जो इस समय पाकिस्तान के रावलपिंडी में स्थित है) से पाटलिपुत्र तक उत्तर पथ बनबाया फिर सासाराम(बिहार) के शेरशाह ने मुल्तान से आगरा तक इसका विस्तार किया।
इसी रोड़ का अंग्रेजो ने विस्तार करके ग्रैंड ट्रंक रोड नाम दिया इस समय ये भारत का राष्ट्रीय राजमार्ग नंबर 2 है। शेरशाह ने जब एक नया नगर बनाने की सोची और 4 नदियों के संगम पर अंत्यंत व्यस्त बंदरगाह होने के कारण शहर को नाम दिया पट्टन यानि बंदरगाह जो बाद में पटना कहलाया।
कुछ इतिहासकारों का मानना है कि इस नगर की देवी पट्टन देवी के नाम से इस पाटलिपुत्र का नाम पटना पड़ा।
नालंदा और विक्रमशीला क्यों प्रसिद्ध थे।
मगध में ही प्राचीन भारत के दो प्रसिद्ध अंतरास्ट्रीय शिक्षा संस्थान थे। नालंदा में 10000 बिद्यार्थियों की शिक्षा के लिए 2000 अध्यापक और विक्रमशिला में 1000 विद्यार्थियों के लिए 100 अध्यापक थे।
नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के शासक कुमारगुप्त प्रथम ने 450 ईस्वी में की थी:
विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना पाल वंश के राजा धर्मपाल ने 8वीं शताब्दी में की थी
नालंदा में चीन, तिब्बत, ईरान, जापान, कोरिया जैसे कई देशों से विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते थे। उनके रहने की व्यवस्था भी यहाँ पर थी। यहां पर 9 मंजिला पुस्तकालय, 7 बड़े कक्ष और 300 कमरे थे। ये 600 बर्षो तक दुनियाभर के छात्रों के अध्ययन का मुख्य केंद्र रहा।
इन दोनों विश्विद्यालयों को देखकर तुर्क आक्रमणकारी वख्तियार खिलजी बहुत हैरान हुआ था और शायद वो नहीं चाहता था कि इतनी बेहतरीन शिक्षा यहाँ पर हो। इसलिए उसने इन दोनों विश्विद्यालयों को जला कर नष्ट कर दिया।
मिथिला क्यों प्रसिद्ध था
सीता और राजा जनक की भूमि है मिथिला। बाल्मीकि ने रामायण की रचना यही पर की।
वैशाली क्यों प्रसिद्ध था
पूरी दुनिया को गणतंत्र का ज्ञान देने वाली वैशाली नगरी, मगध के पूर्वी गंगा के मैदान पर स्थित थी। इसकी स्थापना लिच्छवी वंश के राजा विशाल ने की थी। वैशाली, जैन धर्म के 24बें तीर्थंकर महावीर जैन का जन्मस्थान है।
गौतम बुध ने अपना अंतिम उपदेश भी यही पर दिया था और इसी वैशाली की मिटटी में भगवान बुद्ध की अस्थियों को दफनाया गया था।
राजगृह क्यों प्रसिद्ध था
वैशाली के 150 किलोमीटर दुरी पर स्थित है राजगृह जो मगध की पहली राजधानी थी। बौद्ध धर्म की पहली संगीति 483 ईस्वी पूर्व यहीं पर हुई थी। इस संगीति का आयोजन अजातशत्रु ने करवाया था।
नोट :- बौद्ध धर्म की संगीति में बौद्ध भिक्षुयों में शिक्षा को लेकर वाद विवाद होता था और जो बातें भगवान बुद्ध के जीवनकाल में समझ में नहीं आई होती थी उनको आपस में वाद विवाद करके समझा जाता था तथा बाद में उन्हें धर्मग्रंथों के रूप में संकलित किया जाता था।
बिहार शब्द की उत्पति कैसे हुई
प्राचीन मगध अभी का बिहार कैसे बना इसको लेकर सबके अपने अपने मत हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव, माता पार्वती के साथ यहाँ विहार करने आते थे इसलिए इसका नाम बिहार पड़ा।
कुछ लोग मानते हैं कि बौद्ध धर्म की स्थापना के समय बोध बिहारों की अधिकता के कारण इसका नाम बिहार पड़ा।
कुछ लोगों के अनुसार मुग़ल काल में इस क्षेत्र की सुंदरता के कारण मुगलों ने इसे बहार कहा जो बाद में बिहार बन गया।
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FAQ
बिहार की मुख्य भाषा क्या है
हिंदी बिहार की राजभाषा है इसके अलावा उर्दू को यहाँ पर दूसरी भाषा का दर्जा प्राप्त है। मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका और बज्जिका भी यहाँ की मुख्य भाषाएं हैं जो यहाँ के अलग अलग क्षेत्रों में बोली जाती हैं
बिहार का कौन सा जिला यूपी को छूता है?
गोपालगंज, सारण, बक्सर, पश्चिमी चंपारण, कैमूर, रोहतास, भोजपुर, सिवान ये बिहार के कुछ जिले हैं जो यूपी को छूते हैं।
बिहार की सीमा कितने तटीय राज्यों से लगती है?
बिहार की सीमा उत्तर प्रदेश, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल से लगती है। नेपाल राज्य नहीं देश है।
बिहार का पुराना नाम क्या था?
बिहार का पुराना नाम मगध था।
बिहार का कौन सा जिला गरीब है?
गरीबी के मामले में शिवहर, बिहार का सबसे गरीब जिला है।
बिहार का सबसे धनी जिला कौन सा है
बिहार का सबसे धनी जिला पटना है जिसको प्राचीन समय में पाटलिपुत्र के नाम से जाना जाता था।
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