भारत देश विविधता में एकता का प्रतीक है। यहाँ पर थोड़ी थोड़ी दुरी के बाद भाषा और रीति रिवाज बदल जाते हैं। कुछ परम्पराएं यहाँ पर ऐसी हैं जो सदियों से निभाई जा रही हैं। जैसे शादी के समय दूल्हा दुल्हन के घर बारात लेकर जाता है और दुल्हन से विवाह करके उसे अपने घर लेकर आता है। परन्तु भारत में कुछ ऐसे राज्य भी हैं जहाँ पर ये काम लड़कियाँ करती हैं।
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Toggleभारत की अनोखी शादियाँ |मेघालय की राजधानी शिलोंग में दुल्हन बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है
असम की खासी नामक जनजाति में ये रिवाज पाया जाता है। यहाँ पर लड़की बारात लेकर दूल्हे के घर जाती है और लड़की से शादी करके उसे अपने घर पर लेकर आती है।
भारत के अन्य राज्यों के बिपरीत यहाँ पर लड़की के जन्म पर उत्सव जैसा माहौल होता है। जबकि लड़के का पैदा होना अच्छा नहीं माना जाता।
यहाँ पर लड़कियाँ तो अपने माता पिता के साथ ही रहती हैं परन्तु लड़को को अपने माता पिता का घर छोड़कर घर जमाई बनकर रहना पड़ता है।
बच्चों का उपनाम माँ के उपनाम पर रखा जाता है
मेघालय को खासी जनजाति में बच्चों का उपनाम भी उनकी माता के उपनाम पर रखा जाता है। परिवार की सबसे छोटी बेटी परिवार की मुखिया होती है और उसे जमीन जायदात का सबसे ज्यादा भाग मिलता है।
छोटी बेटी को अपने माता पिता के साथ ही रहना पड़ता है। जबकि परिवार की अन्य बड़ी बेटियां एक निश्चित समय के बाद अपने माता पिता से अलग होकर अपने लिए अलग मकान बना सकती हैं। यहाँ के बाजारों में भी अधिकतर दुकानों पर लड़कियां ही देखी जा सकती हैं।
हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति में भी है इससे मिलती जुलती परम्परा
हिमाचल प्रदेश को देव भूमि के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश जितना अपनी सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है उतना ही अपने अनोखे रीति रिवाजों के लिए भी प्रसिद्ध है।
यहाँ पर अलग अलग तरह के रीति रिवाज देखे जा सकते हैं। कहीं एक लड़की कई कई लड़को से शादी करती है तो कहीं लड़का लड़की को मेले से भगा कर शादी करता है। इसी प्रकार हिमाचल के लाहौल स्पीति में लड़की का बारात लेकर जाने का रिवाज भी प्रसिद्ध है।
अगर दूल्हा समय पर अपनी शादी में नहीं पहुँच पाता तो उसकी बहन बारात लेकर जाती है
लाहौल स्पीति में अगर कोई दूल्हा अपनी शादी में समय पर नहीं पहुँच पाता तो उसकी बहन अपने सिर पर सेहरा बाँधकर खुद बारात लेकर जाती है।
और सारे रीति रिवाज खुद सम्पन्न करके दुल्हन को लेकर आती है। किसी की बहन न होने की स्थिति में दूल्हे का छोटा भाई सिर पर सेहरा बाँधकर अपने भाई की जगह बारात लेकर जाता है और अपने भाई के लिए दुल्हन लेकर आता है।
हिमाचल के सिरमौर के गिरिपार में है बहुपति की प्रथा
बहुपति परम्परा जिसका उल्लेख महाभारत में मिलता है जब द्रोपदी की शादी पाँच पांडवो से हुई थी। हिमाचल के सिरमौर जिले में इस तरह की प्रथा का पालन अभी भी किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में गिरिपार नामक स्थान पर बहुपति की प्रथा प्रचलित है। जिसमे एक परिवार के सभी भाइयों की शादी केवल एक ही लड़की से कर दी जाती है। और उस लड़की से आगे जितने भी लड़के होते हैं उनकी शादी भी एक ही लड़की से होती है।
नहीं होता है भाइयों में जायदाद का बँटवारा
चूँकि सब भाइयों की शादी एक ही लड़की से होती है तो इन सब भाइयों में जमीन को लेकर कोई बंटवारा नहीं होता और जमीन एक ही परिवार के पास सुरक्षित रहती है।
गॉंव के लोगों में इस परम्परा को लेकर अलग अलग विचार देखने को मिलते हैं
गॉंव के लोगो में इस परम्परा को लेकर मतभेद हैं। कुछ लोग समझते हैं कि ये परम्परा उस समय शुरू हुई थी जब यहाँ पर लड़कियों का अनुपात लड़को की तुलना में बहुत कम था।
और कुछ का मानना है कि यहाँ की भगौलिक परिस्थियों को देखते हुए ये परम्परा अस्तित्व में आई। क्यूंकि यहाँ पर कृषि योग्य भूमि का अभाव था तो जमीन को सब भाइयों में बराबर बराबर बाँटना सम्भव नहीं था।
कारण चाहे कुछ भी रहा हो परन्तु फिर भी ये परम्परा गिरिपार में आज तक निभाई जाती है।
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