खतना मुस्लिम समाज में एक रस्म होती है जिसमे लिंग के ऊपर की चमड़ी को काट दिया जाता है। इस प्रक्रिया को खतने का नाम दिया गया है।
चूँकि ईसाई,यहूदी और इस्लाम एक ही पेड़ की शाखाएं हैं अर्थात तीनो धर्म एक ही परिवार के सदस्य हैं और हजरत इब्राहिम की परम्परा में बिकसित हुए हैं
इसलिए यहूदी और ईसाई समाज में भी कहीं कहीं ये खतने की प्रथा पाई जाती है। खतने को इंग्लिश में Circumcision कहते हैं।
ये एक लैटिन शब्द है जिसमे circum का मतलब होता है आस पास।
वैसे तो ज्यादातर खतना प्रथा एक साल से कम उम्र में ही कर ली जाती है क्यूंकि उस समय चमड़ी नर्म होती है और उसे काटने से अधिक दर्द नहीं होता।
परन्तु कुछ समाजो में बच्चो का खतना बड़े होने के बाद भी किया जाता है। जैसे कि दक्षिण अफ्रीका के पहले राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने अपनी बायोग्राफी में लिखा है कि उनका खतना 15 साल के बाद हुआ था और वो इसे लेकर काफी डरे हुए थे।
दक्षिण अफ्रीका में उस समय जब कोई बच्चा युवावस्था की तरफ अग्रसर होता था तो उसका खतना किया जाता था।
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Toggleखतना को लेकर मुस्लिम समाज का क्या मानना है। खतना क्या है
मुस्लिम समाज की माने तो खतने की प्रथा इस्लाम में बहुत पहले से चलती आ रही है। और इसके बिना किसी को भी पवित्र नहीं माना जा सकता।
इस्लाम की माने तो उनके नवी (प्रोफेट) खतने के साथ ही पैदा हुए थे। यानि वो पवित्र ही पैदा हुए थे।
वो इतने पवित्र पैदा हुए थे कि उनकी दाई भी खुद स्नान करने के बाद ही उनको अपनी गोद में उठा पाई थीं। और ये खतने की प्रथा उस समय शुरू हुई थी ।
खतने के बैज्ञानिक कारण | खतना क्यों ज़रूरी है
इतिहासकारों का मानना है कि इस्लाम का विस्तार अरब देशों में हुआ है। और चूँकि अरब देशों के इलाके रेत से भरे हुए होते हैं और वहां पर धूल भरी अँधियाँ चलती रहती हैं
इसलिए रेत के बहुत सारे धूल कण लिंग के ऊपर जमा हो जाया करते थे।और जिससे लिंग इन्फेक्शन हो जाता था
जिसके परिणाम स्वरुप उस समय के शिशुओं की मृत्यु दर अधिक थी। ऐसी परिस्थियों से शिशुओं को बचाने के लिए खतने की प्रथा शुरू की गई थी। जिसने बाद में एक धार्मिक प्रथा का रूप ले लिया।
मुस्लिम समाज में मूत्र बिसर्जन के बाद लिंग को पानी से क्यों धोया जाता है।
मुस्लिम समाज का मानना है कि इस्लाम में दिन में 5 बार नमाज पढ़ी जाती है। और चूँकि मूत्र त्याग के बाद मूत्र पूरी तरह से बिसर्जित नहीं होता और उसकी कुछ बूंदे लिंग में रह जाती हैं
और वो कपड़ों पर गिरकर उनको अपवित्र कर देती हैं इसलिए वो मूत्र बिसर्जन के बाद लिंग को अच्छे से धोते हैं क्यूंकि गंदे रहकर नमाज पढ़ना एक गुनाह है।
जबकि कई लोगो का मानना है कि लिंग को धोने के पीछे भी धूल की फिलोसोफी काम करती है।
महिलाओं का खतना | Khatna in woman
महिलाओं के खतने को खफ्ज़ (Khafz) कहा जाता है। इस प्रक्रिया में क्लिटोरिस के ऊपरी भाग को हटा देते हैं ।
कुछ मामलो में तो पूरी आउटर वेजाइना को ही काट दिया जाता है। यह एक बहुत ही दर्दनाक प्रक्रिया है। और इसका दर्द पीड़ित महिलायें पूरी उम्र झेलती हैं।
उन्हें उनके पीरियड और प्रेग्नेंसी के दौरान भयंकर दर्द का सामना करना पड़ता है। और ये महिलाएं सेक्स के दौरान भी भयंकर पीड़ा का अनुभव करती हैं।
महिलाओं में इस प्रथा का प्रचलन दाउदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं में पाया जाता है।
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