NDA के चुनाव जीतने के बाद विशेष राज्य का दर्जा चर्चा का विषय बना हुआ है। वास्तव में इस बार बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए जरुरी 272 सीट नहीं मिली है और उसे सरकार बनाने के लिए अलग अलग राजनितिक दलों का सहारा लेना पड़ा है।

इन दलों में से 2 प्रमुख पार्टियां TDP(तेलगु देशम पार्टी) और JD(U) ( जनता दल (यूनाइटेड) है। TDP(तेलगु देशम पार्टी) को जहाँ 16 सीट मिली हैं वहीँ JD(U) ( जनता दल (यूनाइटेड) को 12 सीट मिली हैं।

इनके नेता क्रमसः:चंद्र बाबू नायडू और नितीश कुमार है। चंद्र बाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्य मंत्री है और नितीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री है।

इन दोनों की बहुत सारी मांगे हैं जैसे अग्निवीर योजना जो नए सैनिको के लिए ले गई है उस पर विचार किया जाये, किसान कानून पर फिर से विचार किया जाये।

कौन कौन से मंत्रिमंडल उनको दिए जाएं इसके साथ साथ दोनों ही अपने अपने राज्य को विशेष राज्य की श्रेणी में लाना चाहते हैं।

भारत में विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्य

भारत में इस समय 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। इनमें से 11 राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा मिला है। पहले जम्मू और कश्मीर को भी विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था परन्तु धारा 370 हटने के बाद उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और विशेष राज्य की श्रेणी से हटा दिया गया। विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्य हैं।

  • असम
  • नागालैंड
  • मणिपुर
  • मेघालय
  • सिक्किम
  • त्रिपुरा
  • अरुणाचल प्रदेश
  • मिजोरम
  • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • तेलंगाना

सबसे पहले विशेष राज्य का दर्जा असम और नागालैंड को 1969 में दिया गया था। हिमाचल प्रदेश को 1972 में विशेष राज्य की श्रेणी में लाया गया।

क्यों दिया जाता है विशेष राज्य का दर्जा

विशेष राज्य का दर्जा उस राज्य की आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक परिस्थितयों को ध्यान में रखकर दिया जाता है। अगर कोई राज्य आर्थिक आधार पर पिछड़ा हुआ है उसकी भौगोलिक परिस्थियों के कारण उसके पास आय के स्त्रोत नहीं हैं। या भौगोलिक परिस्थियों के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, संचार रोजगार आदि में पिछड़ा हुआ है।

इसके अलावा अगर किसी राज्य से अंतरास्ट्रीय सीमा लगती है, किसी राज्य में जनजातियों की संख्या ज्यादा है और उसके क्षेत्रफल में दुर्गम इलाके अधिक हैं तो उस राज्य को दूसरे राज्यों की श्रेणी में लाने के लिए विशेष राज्य का दर्जा दिया जाता है।

विशेष राज्य पाने के लाभ

विशेष राज्य का दर्जा पाने वाले राज्यों को केंद्र सरकार की तरफ से जो सहायता राशि दी जाती है उसमे 90% भाग अनुदान का होता है और 10% राशि ऋण के रूप में होती है जबकि अन्य राज्यों में ये राशि 70% अनुदान और 30 % ऋण के रूप में होती है।

अनुदान राशि :- अनुदान राशि वो राशि होती है जिसे केंद्र सरकार को वापस नहीं करना होता है।

ऋण राशि :- ऋण राशि वो राशि होती है जिसे एक तय अवधि में केंद्र सरकार को वापस करना होता है।

इसके अलावा विशेष दर्जा पाने वाले राज्यों को कॉर्पोरेट टैक्स, कस्टम ड्यूटी और एक्साइज ड्यूटी में बड़ी राहत दी जाती है।

विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हिमाचल की स्थिति

हिमाचल प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त है फिर भी हिमाचल सरकार पर इस समय केंद्र सरकार का 86 हजार करोड़ का क़र्ज़ है। इस समय हिमचाल प्रदेश की लगभग 35% जनसँख्या दूसरे राज्यों में रहती है। हिमाचल प्रदेश सरकार ने समय समय पर केंद्र सरकार से क़र्ज़ लिया हुआ है जो इस समय 86 हजार करोड़ हो चूका है। सीमित आय स्त्रोतों के साथ इस क़र्ज़ को चुकाना इस समय हिमाचल सरकार की सबसे बड़ी चुनौती है। परन्तु हैरानी की बात है कि चुनावों के दौरान इस मुद्दे पर कोई बात नहीं होती।