अगर ईमानदारी की बात आती है तो डेनमार्क और न्यूज़ीलैंड का नाम सबसे ऊपर आता है दोनों देशों को ट्रांसपरेंसी इंटरनेशल की रिपोर्ट में भी 88 अंक मिले। भारत को इस रिपोर्ट में 2022 में 40 और 2023 में 39 अंक मिले। इस प्रकार भारत 2022 में 85बें नंबर पर और 2023 में 93बें स्थान पर था।
लेकिन परम्पराओं और मूल्यों की बात करें तो प्राचीन समय में भारत, भारत में आने वाले विदेशी यात्रियों के अनुसार शीर्ष पर था। प्राचीन भारत का चरित्र समझने के लिए हम यूनानी, चीनी और अंग्रेज लेखकों की कृतियों और उस समय के विजेताओं के कथनो का सहारा लेंगे।
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Toggleसर विलियम हेनरी स्लीमन (1788-1856) भारतीयों के बारे में क्या लिखते हैं
सर विलियम हेनरी स्लीमन, ब्रिटिश भारत में एक ब्रिटिश सैनिक और प्रशासक थे वो भारतीयों के बारे में अपनी किताब Rambles and Recollections of an Indian Official में लिखते हैं कि इन लोगो के बारे में शायद कहा जा सकता है कि इन्होने अभी तक झूठ की कीमत नहीं समझी है।
ईस्वर के डर की ताकत इन लोगों में आम देखी जा सकती है। ज्यादातर गॉव में पीपल का एक पवित्र पेड़ होता है और ऐसा माना जाता है की देवता गण इस पेड़ के पत्तों में बैठे रहते हैं। जब भी गॉव में किसी पर कोई आरोप लगता है तो आरोपी अपने हाथ में पीपल के पेड़ का पत्ता लेता है।
तथा देवता का आहवान करता है तब देवता उस पर सवार हो जाता है और वो अपने हाथों में पत्ते को कुचलता है यदि वो व्यक्ति सत्य के अलावा कुछ भी बोलेगा तो वो देवता उसे या उसके परिजनों को कुचल देगा। ऐसा माना जाता है कि पीपल के पेड़ पर हिन्दुओं का एक देवता वास करता है
स्लीमन अपनी किताब में बताता है कि पंचायत में लोग आदतन धार्मिक रूप से सत्य का पालन करते हैं। स्लीमन कहता है कि मुझे बहुत समय तक ठगी के दमन के अपने काम के कारण एक कमिशनर के रूप में इन लोगो के बीच रहना पड़ा और मेरे सामने ऐसे सैंकड़ो केस आये जिनमे किसी व्यक्ति की सम्पति, सवतंत्रता और जीवन तक दांव पर लगा होता था लेकिन फिर भी उसने झूठ नहीं बोला।
पीपल के पेड़ के नीचे बैठी पंचायतों के बारे में ये कहा जाता था कि देवता ही इसकी अध्यक्षता कर रहे हैं। अगर आरोपी ने झूठ बोला तो ऐसा माना जाता था कि जो देवता ऊपर सिहासन पर बैठा है वो उस व्यक्ति के मन की बात जानता है और उस क्षण से वो व्यक्ति चैन नहीं ले पाता।
अगर बाद में उसके या उसके प्रियजन के साथ कोई दुर्घटना घटती थी तो ऐसा माना जाता था कि उस व्यक्ति ने झूठ बोला है इसलिए ऐसा हुआ है।
इसके अलावा स्लीमन अपनी पुस्तक में लिखता है कि अगर विदेश में रहने वाले 10 भारतीयों से पूछा जाये कि उन्हें सबसे अधिक आनंद किसमे मिलता है तो 10 में से 9 लोग कहेंगे कि उन्हें सबसे अधिक आंनद स्वदेश में रहने वाली अपनी बहनो के पत्रों से मिलता है। भाई और बहन के बीच इतना प्रेम दुनिया की किसी संस्कृति में नहीं मिलता।
स्लीमन कहते हैं कि जब भी हम भारत की बात करते हैं तो हम केवल राजा महाराजाओं तक सीमित हो जाते हैं लेकिन जिसने भी भारत के स्थानीय राजनीतिक जीवन का अध्यन किया है वो आपको भारत की एक अलग ही तस्वीर बताएंगे।
मेगस्थनीज़ द्वारा लिखी पुस्तक इंडिका
मेगस्थनीज़ जो एक यूनानी राजदूत था और चंद्रगुप्त मौर्य के दरवार में आया था, अपनी पुस्तक इंडिका में लिखता है कि चोरी बहुत दुर्लभ थी और वो सत्य का एक सद्गुण की तरह सम्मान करते थे।
एरियन भारत के बारे में क्या लिखते हैं
एरियन जो दूसरी शताब्दी में एपिक्टेटस का शिष्य था और जिसने एपिक्टेटस के प्रवचनो को लिखा और प्रकाशित किया वो भारत में लोकनिरिक्षको के बारे में लिखता है कि वो ये नज़र रखते हैं कि गॉव और शहर में क्या हो रहा है और हर बात की खबर राजा को देते हैं।
और जहाँ पर लोगो का स्वशासन होता है वहाँ वो दंडाधिकारी को खबर देते हैं इन लोगो में झूठी रिपोर्ट देने का रिवाज़ नहीं है और न ही किसी व्यक्ति पर झूठ बोलने का इल्जाम लगता है।
ह्वेन सांग भारतीयों की ईमानदारी के बारे में क्या लिखता है
ह्वेन सांग (युआन च्वांग) एक चीनी यात्री था जो 630 ईस्वी में राजा हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया था और वह 15 वर्षों तक यहाँ रहा। वो लिखता है कि भारतीय नर्म स्वभाव के होते हैं। उनके चरित्र की विशेषता उनकी स्पष्टवादिता और उनकी ईमानदारी होती है। जहाँ तक कीमती चीज़ों का प्रश्न है वो अन्यायपूर्ण कोई चीज़ नहीं लेते
वो शुद्ध शाकाहारी भोजन करते थे इसके अतिरिक्त लहसुन, प्याज और मांस खाने वालों का स्थान शहर के बाहर था।
कमालुदीन अब्दुल रज्जाक समरकंदी ( 1413 – 1482)
कमालुदीन अब्दुल रज्जाक समरकंदी ने पन्द्रहमी शताब्दी में तैमूर वंश के शासक शाहरुख़ के राजदूत के रूप में कालीकट और विजयनगर सम्राज्य के राजा के पास गया था उसने भारत के बारे में लिखा कि इस देश में व्यापारी बहुत सुरक्षित हैं।
अबुल फजल (1551 – 1602 )
16बी शताब्दी में अकबर का मंत्री अब्दुल फजल अपनी पुस्तक आईने अकबरी में कहता है कि हिन्दू धार्मिक, विश्वसनीय, न्यायप्रिय, सत्य के प्रसंशक, कृतज्ञ और असीमित निष्ठां वाले होते हैं। और उनके सैनिक ये नहीं जानते कि युद्ध में मैदान से भागना क्या होता है।
वारेन हेस्टिंग्स (6 दिसंबर 1732 – 22 अगस्त 1818)
वारेन हेस्टिंग्स हिन्दुओ के बारे में कहता है कि वो सज्जन और उदार हैं और उनके प्रति दर्शाई गई दया के प्रति वो ज्यादा संवेदनशील होते हैं। तथा उनके प्रति किये गलत काम के लिए उनमे पृथ्वी के अन्य लोगो की तुलना में उनमे बदला लेने की कम प्रवृति होती है। वे निष्ठावान, स्नेही और क़ानूनी सत्ता के आगे समर्थन का भाव रखते हैं।
निष्कर्ष
प्राचीन और आधुनिक समय के लगभग सभी विदेशियों की भारत के बारे में आम टीका है कि भारत के निवासी सच बोलते हैं और वो ईमानदार होते हैं। भारत के विषय में इंग्लैंड बासियों ने जो भारत का गलत बर्णन किया है उन्होंने केवल कलकत्ता, मद्रास, बम्बई और भारत की शहरी सभ्यता देखी है उनका पाला भारत के गाँवों से नहीं पड़ा।
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