ईसाई धर्म ईसा मसीह के जन्म, उनकी शिक्षाओं और उनकी मृत्यु पर आधारित एक धर्म हैं। ईसा मसीह का जन्म ईसा से 4 से 6 ईस्वी पूर्व बताया जाता है। इनका जन्म फिलिस्तीन के बेथलहम में हुआ था। इनकी माता का नाम मरियम और पिता का नाम युसूफ था हालाँकि ईसाई समाज में मान्यता है कि ईसा मसीह कुंबारी मरियम की हथेली से पैदा हुए थे।

इनकी मृत्यु 30 से 33 AD में बताई जाती है। इनकी मृत्यु के बाद इनके शिष्यों ने ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया और इस तरह से ये धर्म फैला। ईसाइयत और इस्लाम सबसे तेजी से फैलने वाले धर्म हैं चूँकि ये धर्म मानते हैं कि जो भी इनके धर्म को नहीं मान रहा वो गलत रास्ते पर है और उनको सही रास्ते पर लाना इनका फ़र्ज़ है।

ईसा मसीह की मृत्यु के बाद उनके शिष्यों ने ईसाई धर्म का प्रचार प्रसार किया। ईसा मसीह का ही एक शिष्य सेंट पीटर कैथोलिक चर्च का पहला पोप बना।

पोप कौन होता है

पोप कैथोलिक चर्चों का सर्बेसर्बा होता है। ये 1 अरब 20 करोड़ कैथोलिक ईसाईयों का धर्मगुरु होता है। ये कैथोलिक चर्च का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होता है। पोप की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 1098 से 1291 के बीच जब येरुसलम पर कब्ज़ा करने के लिए ईसाईयों और मुसलमानो में क्रूसेड युद्ध हुए थे

तब पोप ने कैथोलिक ईसाईयों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि जो भी इस युद्ध में भाग लेगा उसके सारे पाप ख़त्म हो जायेंगे और वो सीधा स्वर्ग को जायेगा। इस कथन को सुनकर लाखों ईसाई फिलिस्तीन विजय के लिए निकल पड़े थे जिनमे से बहुत सारे रास्ते में ही मारे गए थे।

पोप के पद को समझने के लिए 5 टर्म्स को समझना जरूरी है।

  • पादरी :- ये किसी भी चर्च का प्रमुख होता है।
  • बिशप :- ये कई चर्चों के समूहों का प्रमुख होता है और पादरी के चयन के लिए जिम्मेबार होता है।
  • आर्कबिशप:- ये बिशप का सहायक होता है।
  • कार्डिनल:- सारी दुनिया के बिशप और वेटिकन के अधिकारिओं को कार्डिनल कहा जाता है। ये पोप के द्वारा चुने जाते हैं।
  • कॉनक्लेव :- पोप के चुनाव के लिए होने वाली प्रक्रिया को कॉनक्लेव कहा जाता है।

पोप :- रोम के बिशप को पोप कहते हैं लेटिन भाषा में इसका मतलब पापा होता है इनके कार्यालय को पोपसी कहा जाता है जो कि इटली के रोम की वेटिकन सिटी में स्थित है। पोप के घर को अपोस्टोलिक पैलेस कहते हैं जो वेटिकन सिटी में स्थित है। ईसा मसीह का शिष्य सेंट पीटर कैथोलिक इतिहास का पहला पोप माना गया है । बर्तमान पोप का नाम पोप फ्रांसिस हैं जिनका असली नाम जॉर्ज मारिओ बर्गोगलिओ है।

पोप का चुनाव कैसे होता है

किसी पोप की मृत्यु या उसके अस्तीफा देने की परिस्थिति में नयें पोप का चुनाव होता है। सारी दुनिया से कार्डिनल को मीटिंग के लिए वेटिकन सिटी में बुलाया जाता है। दुनियाभर में 184 कार्डिनल हैं। इन कार्डिनल में से ही पोप चुना जाता है। जबकि चुनाव निर्वाचन के लिए कार्डिनल की अधिकतम सँख्या 120 होती है। भारत में इस समय 5 कार्डिनल हैं ।

80 साल के ऊपर के कार्डिनल इस चुनाव प्रक्रिया “कॉनक्लेव” में वोटिंग नहीं कर सकते हैं। पोप चुनने की प्रक्रिया सिस्टीन चैपल में चलती है। कॉनक्लेव के दौरान कार्डिनल वेटिकन के अंदर ही रहते हैं और उन्हें बाहरी दुनिया से संपर्क करने की इज़ाज़त नहीं होती।

सिस्टीन चैपल में चुनाव होने से पहले सारी जगह की चेकिंग की जाती है। ये वोटिंग तब तक चलती है जब तक कि किसी एक को दो तिहाई मत न मिल जाएं। दिन में 4 बार वोटिंग होती है।

इस चुनावी प्रक्रिया में कुछ दिन लग सकते हैं और उतने दिनों तक वोटिंग में शामिल सभी कार्डिनल को अंदर ही वोट डालना ,खाना पीना और सोना होता है। अंदर के सभी टेलीविज़न, रेडियो और दूसरे संचार के साधन टेलीफोन या मोबाइल फ़ोन हटा लिए जाते हैं।

बाहरी दुनिया को चिमनी से निकलने वाले धुएं से पता चलता है कि पोप को चुन लिया है या चुनावी प्रक्रिया अभी जारी है। चुनाव के हर राउंड के बाद बैलेट को फरनेस में डाला जाता है अगर चुनावी प्रक्रिया चल रही हो तो इसके साथ ऐसा रसायन डाला जाता है जिससे काला धुआँ चिमनी से बाहर आये।

जिससे बाहर के लोग समझ जाते हैं कि अभी चुनाव चल रहा है। जबकि अगर चिमनी से सफ़ेद धुआँ निकले तो इसका मतलब नयाँ पोप चुना जा चूका है।

  • बोटों की गिनती स्कुटनियर करते हैं वो ये भी ध्यान रखते हैं कि सभी कार्डिनल वोट दे रहे हों।
  • स्क्रूटनियर हर बैलट से नाम को नोट करके दूसरे को देगा. दूसरा स्क्रूटनियर भी ऐसे ही करेगा।
  • तीसरा स्क्रूटनियर हर नाम को जोर-जोर से कॉन्क्लेव में बोलेगा और प्रत्येक बैलट को सुई से एक धागे में पिरोता जाएगा
  • ये काम तब तक चलता रहेगा जब तक किसी एक को दो तिहाई बहुमत न मिल जाये।
  • जब नए पोप का चुनाव हो जाता है तो उसे नाम बदलना होता है।

इसके बाद वेटिकन सिटी के चर्च बैसिलिका की बालकनी से नए पोप के नाम की घोषणा की जाती है। उसके बाद पोप खिड़की पर आते हैं और इस प्रकार पॉप की चुनावी प्रक्रिया जिसे कॉन्क्लेव कहा जाता है सम्पन्न होती है।

पोप कौन बन सकता है

कोई भी पुरुष जो कैथोलिक हो और जिसका बपतिस्मा हो चूका हो पोप बनने के लिए योग्य होता है जबकि कोई भी स्त्री पोप नहीं बन सकती है।

बपतिस्मा क्या होता है।

बपतिस्मा कैथोलिक ईसाई धर्म के 7 संस्कारों में से एक है जिनके साथ कैथोलिक ईसाई धर्म की दीक्षा दी जाती है।

कैथोलिक ईसाई धर्म के 7 संस्कार कौन कौन से हैं

1. बपतिस्मा

कैथोलिक ईसाईयों में बपतिस्मा जन्म के साथ ही किया जाता है परन्तु अगर कोई बाद में धर्म परिवर्तित करके ईसाई बनता है तो ये धर्मातरण प्रक्रिया के समय होता है। बपतिस्मा में एक पुजारी, दूसरे व्यक्ति “जिसका बपतिस्मा किया जाना है” को आशीर्वाद देता है और उसका पानी से अभिषेक करता है। ये पवित्र होने की एक प्रक्रिया है।

2. यूचरिस्ट (या भोज)

इस संस्कार में व्यक्ति को रोटी और शराब का सेवन करना होता है जो कि कैथोलिक मान्यताओं के अनुसार यीशु के मांस और खून में परिवर्तित हो जाते हैं । ये संस्कार ईसा मसीह की कुर्बानी को याद रखने के लिए होता है।

3. पुष्टिकरण (पवित्र आत्मा का प्रवाह)

पुष्टिकरण संस्कार उसका किया जाता है जिसका बपतिस्मा हो चूका हो। इसमें पुजारी व्यक्ति को आशीर्वाद देता है और उसका तेल से अभिषेक करता है।

4. सुलह (या पापों की स्वीकारोक्ति)

इसमें व्यक्ति को अपने पापों को एक पुजारी के सामने सुनाना होता है।

5. बीमारों का अभिषेक

ये संस्कार उन लोगों को दिया जाता है जो किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित हों या किसी सर्जरी का इंतज़ार कर रहे हों। ये संस्कार जितनी बार ज़रूरत हो उतनी बार इस संस्कार को प्राप्त कर सकता है।

6. विवाह

कैथोलिक ईसाईयों में विवाह एक पवित्र संस्कार है ये संस्कार बपतिस्मा प्राप्त पुरुष और बपतिस्मा प्राप्त महिला विवाह की शपथ के माध्यम से एक दूसरे को देते हैं।

7. पवित्र आदेश

ये संस्कार केवल उन पुरुषों के लिए हैं जिन्हे बिशप, पुजारी या डीकन के रूप में नियुक्त किया जा रहा हो

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