7वीं शताब्दी में अरब में एक नए धर्म, इस्लाम धर्म का उदय हुआ, जिससे एक बड़े साम्राज्य की स्थापना हुई। इस्लाम धर्म का संस्थापक हज़रत मोहम्मद साहब को माना जाता है इनका जन्म अरब के मक्का शहर में एक गरीब परिवार में 570 ईस्वी में हुआ था। इनके माता पिता की मृत्यु इनके बचपन में ही हो गई थी।
इनकी माता का नाम आमिना तथा पिता का नाम अब्दुल्लाह था। इनके पिता की मृत्यु इनके जन्म से पहले हो गई थी और जब ये 6 बर्ष के हुए तो इनकी माता की भी मृत्यु हो गई।
युवावस्था में इन्होने व्यापार करके अपनी आजीविका कमाई और मक्का में अपनी ईमानदारी के लिए प्रसिद्ध हो गए। क्यूंकि ये गरीबी में जीवन गुजार रहे थे इसलिए इन्होने कोई शिक्षा ग्रहण नही की।
इन्होने शिक्षा तो ग्रहण नहीं की थी परन्तु अपनी विचारशीलता के कारण ये अरब के उस समय के प्रचलित धर्म से असंतुष्ट रहने लगे। इन्होने आध्यात्मिक चिंतन करते हुए चेतना प्राप्त की और जब वे 40 वर्ष के थे, तब उन्हें ‘सत्य के दर्शन’ हुए और वे भविष्यवक्ता बन गये।
Table of Contents
Toggleकुरान शरीफ का संकलन कैसे हुआ। इस्लाम धर्म की शुरुआत कैसे हुई। इस्लामी संबत या हिजरी संबत कैसे शुरू हुआ।
ईस्वर की प्रेरणा से मोहम्मद साहब जो कुछ कहते गए लोग उन्हें याद कर लेते थे। उनके ये बोल मुसलमानों के धार्मिक ग्रन्थ कुरान शरीफ बन गए। और यहीं से शुरुआत हुई इस्लाम धर्म की। मुहम्मद के दर्शन ने उन्हें पूरी तरह आश्वस्त कर दिया कि अल्लाह ही एकमात्र ईश्वर है।
उन्होंने मूर्ति पूजा का विरोध किया जिससे उनके कई शत्रु बन गए क्यूंकि अरब में उस समय बहुदेववादी प्रथा थी और लोग बहुत सारे ईस्वर में यकीन रखते थे। मक्का के लोगो ने इस नए धर्म इस्लाम धर्म को स्वीकार नहीं किया।
मक्का के लोग हजरत मोहम्मद और उनके अनुयायियों को बहुत तंग करते थे। इसलिए मदीना वालों के बुलाने पर मोहम्मद साहब 24 सितम्बर 622 ईस्वी को मक्का छोड़कर मदीना चले गए।
जिस तिथि को मोहम्मद साहब मक्का छोड़कर मदीना आये उसी तिथि को हिजरत कहते हैं और इस्लामी संबत या हिजरी संबत इसी घटना से शुरू होता है।
वैदिक संबत कैसे बना पढ़ने के लिए क्लिक करें
नोट :- मक्का से मदीना की दुरी लगभग 434 किलोमीटर है। मक्का, सऊदी अरब के हेजाज़ में स्थित है और ये मक्का प्रांत की राजधानी है। मक्का में कावा शरीफ मस्जिद है जो कि इस्लाम का एक पवित्र स्थल है। मदीना, सऊदी अरब के अल हिजाज़ में स्थित है मदीना में मोहम्मद साहब की कब्र है। यहाँ पर पैगंबर की मस्जिद भी है जिसके अंदर पैगंबर मोहम्मद का मिम्बर है जहाँ वो अपने अनुयायियों को खुदा का फरमान सुनाते थे।
मदीना में मोहम्मद साहब ने इस्लाम को एक व्यवस्थित रूप दिया इस्लाम के मुख्य रूप से 2 ग्रन्थ हैं।
- कुरान
- हदीस
कुरान :- कुरान में वो ज्ञान है जो ईस्वर ने अपने दूत के माध्यम से मोहम्मद साहब को दिया था। इस्लाम की पवित्र पुस्तक कुरान, कई सुरों या अध्यायों में विभाजित है, और इसमें मुहम्मद की शिक्षाएँ शामिल हैं। कुरान के कुल 114 अध्याय हैं जिनमे से 90 का संग्रह मक्का में तथा 24 का संग्रह मदीना में किया गया ।
हदीस :- हदीस में मोहम्मद साहब के दिए गए उपदेशों को संकलित किया गया है। कुरान के अलावा, एक मुसलमान का जीवन सुन्ना, मुहम्मद की प्रथाओं और हदीसों, मुहम्मद की कही बातों से निर्देशित होता है।
इस्लाम धर्म के कितने अंग माने गए हैं
इस्लाम धर्म के मुख्यत: तीन अंग माने गए हैं
- ईमान
- इवादत
- इहसान
ईमान :- ईमान का अर्थ अल्लाह, उसके पैगंबरों और कयामत के दिन में विश्वास करना है। इस्लाम में अल्लाह को ही एकमात्र ईस्वर माना है जो अपने पैगंबरों के माध्यम से ही अपनी बातों को लोगो तक पहुँचाता है।
इस्लाम में मान्यता है कि निर्णय के दिन सभी मुर्दे कब्र से जी उठेंगे और अल्लाह उनके कर्मो के हिसाब से उनको जन्नत और जहानुम में भेजेगा जिसको निर्णय का दिन कहा जाता है।
इबादत :- इबादत में 5 बातों को रखा गया है
- कलमा पढ़ना
- नमाज
- रोज़ा
- जकात
- हज
कलमा पढ़ना :- इसमें बताया गया है प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि वो प्रतिदिन ला इलाहा इलिल्लाह मुहम्मदुर्रसुलिल्लाह (ईस्वर एक है और मुहम्मद साहब उसके पैगंबर हैं ) का जाप करे।
नमाज :- प्रत्येक मुसलमान का कर्तव्य है कि वो मक्का की तरफ मुँह करके दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ें और शुक्रबार के दिन जुम्मे की सार्वजनिक नमाज़ में भाग ले।
रोज़ा :- प्रत्येक मुसलमान को रमज़ान के महीने में रोज़े रखने होते हैं और सूर्यास्त के बाद ही भोजन करना होता है।
जकात :- प्रत्येक मुसलमान को अपनी आय का चालीसवां भाग जकात यानि दान में देना होता है।
हज :- प्रत्येक मुसलमान को जीवन में एक बार मक्का मदीना की यात्रा करनी होती है जिसे हज यात्रा कहा जाता है।
इस्लाम के अंदर कितने सम्प्रदाय हैं
मुहम्मद साहब न केवल एक धार्मिक नेता थे बल्कि एक राजनीतिक नेता भी थे। 8 जून 632 ईस्वी को इनकी मृत्यु के बाद उनके उत्तराधिकार को लेकर विवाद हुआ जिससे जिससे इस्लाम के अनुयायी 2 गुटों में बंट गए।
एक गुट ने मोहम्मद साहब के चचेरे भाई अली इब्र अबू तालिब जो मोहम्मद साहब की बेटी फातिमा से विवाह करके उनके दामाद बने थे उनको अपना मुखिया(खलीफा) माना।
उनका कहना था कि मोहम्मद साहब ने अपनी मृत्यु से पहले ये संकेत दिया था कि उनकी मृत्यु के बाद अली को खलीफा माना जाये। ये गुट आगे चलकर शिया समुदाय कहलाया।
दूसरे गुट ने अली इब्र अबू तालिब को खलीफा मानने से इंकार कर दिया। इनका कहना था कि मुखिया का चुनाव सभी की सहमति से किया जाना चाहिए। इस सम्प्रदाय को मानने वाले सुन्नी कहलाये।
शिया और सुन्नी लोगों में विचारों के आधार पर भिन्नता
शिया | सुन्नी |
शिया लोगों के अनुसार इमाम या खलीफा की नियुक्ति केवल अली के वंशजो में से ही की जानी चाहिए क्योंकि वे ही मोहम्मद साहब के वास्तविक उत्तराधिकारी हैं। | सुन्नी लोगों का मत है कि इमाम का चयन एक जन-समिति के द्वारा होना चाहिए न कि वंशानुगत तरीके से। |
शिया लोगों के अनुसार इमाम या खलीफा केवल आध्यात्मिक नेता है, राज्य से उसका कोई सम्बन्ध नहीं, क्योंकि धर्म और राज्य, अलग-अलग हैं। | सुन्नी लोगों का मत है कि इमाम धार्मिक और लौकिक दोनों प्रकार का मुखिया है, वह धर्म और राज्य दोनों का संरक्षक है क्योंकि धर्म और राज्य परस्पर सम्बन्धित हैं अलग-अलग नहीं। |
‘शिया’ मत वाले एक समय में कई इमामों को स्वीकार करते हैं | सुन्नी मत वाले सम्पूर्ण विश्व के एक ही इमाम को स्वीकार करते हैं। |
‘शिया’ लोगों का मानना है कि इमाम ने यदि कोई गलत कार्य किया है जिसके कारण वह अपराधी हैं तो इस्लाम पर विश्वास करने वालों की प्रार्थना अवैधानिक होगी। | ‘सुन्नी’ लोगों के मत में इमाम के अपराधों का प्रभाव जनता की प्रार्थना पर नहीं पड़ेगा। |
‘शिया’ लोग कुरान पर बहस करने की स्वतन्त्रता को स्वीकार करते हैं, शिया लोग अस्थाई विवाह को भी स्वीकार करते हैं। | ‘सुन्नी’ लोग कुरान पर किसी प्रकार की बहस को स्वीकार नहीं करते साथ ही विवाह के स्थायित्व में विश्वास करते हैं। |
शिया और सुन्नी में लड़ाइयों क्यों होती हैं पढ़ने के लिए क्लिक करें
शिया समुदाय आगे चलकर 6 भागों में बंट गया। और सुन्नी समुदाय आगे चलकर 5 भागों में बंट गया।
शिया मुसलमान कितने गुटों में बंटे हैं।
शिया समुदाय के मुख्यत: 6 सम्प्रदाय हैं
- इस्ना अशरी
- जैदिया
- इस्माइली शिया
- दाउदी बोहरा
- खोजा
- नुसैरी
सुन्नी मुसलमान कितने गुटों में बंटे हैं।
सुन्नी समुदाय के मुख्यत: 5 सम्प्रदाय हैं
- हनफ़ी– हनफ़ी भी दो भागों में बटें हैं – देवबंदी और बरेलवी
- मलिकी
- शाफ़ई
- हंबली
- अहले हदीस
इसके अलावा सुन्नी बोहरा और अहमदिया मुसलमान भी होते हैं। अहमदिया मुसलमानो को तो पाकिस्तान में मुसलमान ही नहीं माना जाता।
इन सबके अलावा भी इस्लाम में बहुत सारे छोटे छोटे पंथ और भी पाए जाते हैं। और इन सब सम्प्रदायों के अलावा इस्लाम में एक और सम्प्रदाय है जिसे सब धर्मो के लोग काफी श्रद्धा की निगाह से देखते हैं और ये हैं सूफी मत
इस्लाम दुनिया में सबसे तेजी से फैलने वाला धर्म
8 जून 632 ईस्वी में पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु से पहले लगभग पूरे अरब ने नया धर्म स्वीकार कर लिया था और वो एक अखंड राज्य बन गया था।
अरब से इस्लाम बहुत तेजी से दुनिया के कई अन्य हिस्सों में फैल गया। सौ वर्षों के भीतर खलीफाओं और उनके सेनापतियों ने ईरान, सीरिया, मिस्र, मध्य एशिया, उत्तरी अफ्रीका और स्पेन पर विजय प्राप्त कर ली। अरब साम्राज्य दुनिया में अब तक देखा गया सबसे बड़ा साम्राज्य था।
पहले तीन खलीफाओं ने मदीना शहर से शासन किया। फिर राजधानी कूफ़ा स्थानांतरित कर दी गई। 660 ई. तक, जब ओमय्यद राजवंश ने शासन की बागडोर संभाली, उस समय प्रमुख शहर दमिश्क ( Damascus) था।
लगभग 750 में, अब्बासिदों ने ओमय्याद राजवंश को उखाड़ फेंका और बगदाद को अपनी राजधानी बनाया। इस समय का प्रसिद्ध शासक हारून रशीद अब्बासी था।
अब्बासिदों ने लगभग 300 वर्षों तक शासन किया, उसके बाद सेल्जूक तुर्कों ने बगदाद पर कब्ज़ा कर लिया और अरब शासन को समाप्त किया । अगली चार शताब्दियों के दौरान तुर्कों ने इस्लामी जगत पर शासन किया ।
15वीं शताब्दी में इनमें से अधिकांश क्षेत्र ओटोमन तुर्कों के अधिकार में आ गए। यह ओटोमन तुर्क ही थे जिन्होंने कॉन्स्टेंटिनोपल पर कब्जा कर लिया और 1453 में पूर्वी रोमन साम्राज्य को समाप्त किया था ।
अरब सभ्यता का विश्व को योगदान
अरब में एक विशाल साम्राज्य की स्थापना ने विभिन्न सभ्यताओं, विशेषकर ग्रीक, ईरानी और भारतीय सभ्यताओं की बौद्धिक और वैज्ञानिक परंपराओं को एक साथ आने में मदद की। अरबों ने समस्त ज्ञान को अपना बनाया और उसका और अधिक विकास किया।
अरब वैज्ञानिक अल रज़ी (रेज़ेस) ने चेचक की वास्तविक प्रकृति की खोज की, और इब्न सिना (एविसेना) ने तपेदिक के संक्रामक होने का पता लगाया ।
गणित में अरबों ने भारतीय अंक (हिन्दसाह) सीखे और उनका प्रयोग दूर-दूर तक फैलाया, जिससे पश्चिम जगत में ये अंक आज भी अरबी अंक कहलाते हैं।
अंग्रेजी अंक | भारतीय अंक | अरबी अंक |
0 | ० | ٠ |
1 | १ | ١ |
2 | २ | أ |
3 | ३ | ع |
4 | ४ | ٤ |
5 | ५ | خ |
6 | ६ | ط |
7 | ७ | ح |
8 | ८ | ض |
9 | ९ | ص |
अरब सभ्यता की कुछ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियाँ
- उमर खय्याम की ‘रुबैयत‘
- फिरदौसी की ‘शाहनामा’
- और 1001 कहानियों का संग्रह ‘अरेबियन नाइट्स’ हैं।
अरबों ने अपने स्वयं के सजावटी डिजाइन विकसित किए। उनकी इमारतों में बल्ब जैसे गुंबद, छोटी मीनारें, घोड़े की नाल के मेहराब और मुड़े हुए स्तंभ थे।
अरबों ने ही सुलेख नाम की एक सजावटी लेखन शैली विकसित की।
अरब कालीन, चमड़े का काम, सुंदर तलवारें, रेशम, जड़ाई, धातु का काम और मीनाकारी कांच के बर्तन हर जगह बेशकीमती थे।
मुसलमानों भी होते हैं जातिबाद का शिकार पढ़ने के लिए क्लिक करें
क्या उर्दू केवल एक समुदाय विशेष की भाषा है पढ़ने के लिए क्लिक करें
2 responses