अप्रैल 2022 की बात है नमकीन बनाने बाली कंपनी हल्दीराम, नमकीन के पैकेट पर उर्दू में लिखी जानकारी की वजह से चर्चा में आ गयी। पैकेट पर उर्दू में लिखी जानकारी को लेकर काफी विवाद हुआ।

सुदर्शन न्यूज़ के एडिटर-इन-चीफ़ सुरेश चव्हाणके का आरोप था कि हल्दीराम ने अपने पैकेट पर उर्दू में जानकारी लिखकर कुछ छुपाने की कोशिश की है और ये मामला सोशल मीडिया पर छा गया।

उर्दू भाषा

हालाँकि हल्दीराम के निदेशक शरद अग्रवाल ने बताया कि पैकेट पर लिखी गई भाषा उर्दू नहीं बल्कि अरबी है और क्यूंकि कंपनी के उत्पाद इटली, दुबई, और स्पेन जैसे कई देशों में निर्यात किए जाते हैं।

इसलिए उत्पाद का विवरण अरबी में किया गया है क्यूंकि उत्पाद विवरण में अपनी स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करना हर देश का आदेश है और दुबई में बिकने वाले अन्य भारतीय उत्पादों पर भी अरबी भाषा में जानकारी लिखी होती है।

सच्चाई चाहे जो हो परन्तु इससे 2 बातें बिलकुल स्पष्ट हो जाती है एक तो ये कि इन दोनों भाषाओ की लिपियों में बहुत से शब्द एक जैसे हैं और दूसरा उर्दू को भारतियों की भाषा नहीं समझा जाता जबकि ये हिंदुस्तान में ही जन्मी एक भाषा है।

उर्दू भाषा

क्या उर्दू एक भारतीय भाषा है। उर्दू भाषा की उत्पत्ति कब कहाँ और कैसे हुई थी

उर्दू लिपि भले ही अरबी और फ़ारसी लिपि से मिलती हो परन्तु इसे हिंदी भाषा के जैसे ही पढ़ा जाता है। दो व्यक्ति जिनमे एक के बोलचाल की भाषा हिंदी हो और दूसरे के बोलचाल की भाषा उर्दू हो वो आसानी से एक दूसरे से बात कर सकते हैं

क्यूंकि उर्दू और हिंदी दोनों का व्याकरण एक जैसा ही है बस उनकी लिपि एक दूसरे से भिन्न है। उर्दू के 75% शब्द संस्कृत और प्राकृत भाषा से लिए गए हैं और 25% फ़ारसी और अरबी भाषा से लिए गए हैं।

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फिर भी भारत में समय समय पर उर्दू भाषा का विरोध देखने को मिलता है। उर्दू से नफरत की जाती है कुछ लोग उर्दू की मुसलमानो की भाषा मानते हैं। अगर किसी शहर का नाम उर्दू में लिखा हो तो उस स्थान को पकिस्तान से जोड़कर देखा जाता है।

किसी पैकेट पर उर्दू में कुछ लिखा हो तो विवादों का कारण बन जाता है। लेकिन उर्दू से इतनी नफरत क्यों की जाती है क्या सच में एक विदेशी भाषा है इसको समझने के लिए इस भाषा की उत्पति कहाँ से हुई पहले इसको समझना होगा।

इतिहासकार मानते हैं कि उर्दू भाषा सबसे पहले 12वीं शताब्दी में दिल्ली में एक आम बोलचाल की भाषा से अस्तित्व में आई। उर्दू को हिंदुस्तानी या हिन्दवी भी कहा जाता था।

उर्दू शब्द, तुर्की अरबी भाषा का है। उर्दू का फ़ारसी अनुवाद सेना की छावनी है। मुस्लिम शासक जब अपने सैनिक तुर्की से यहाँ लाये तो दिल्ली के आस पास बनी छावनियों को तुर्की सैनिक उर्दू कहने लगे और धीरे धीरे हर तरह की छावनियों को उर्दू ही कहा जाने लगा।

इन सैनिको की दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए दिल्ली में उस समय एक बाजार लगता था और बाजार लगाने वाले छोटे व्यापारी जो यहीं के थे वो हिंदी में बात करते थे परन्तु तुर्की सैनिको को हिंदी नहीं आती थी।

इसलिए वो सैनिक समय बीतने के साथ अपनी बात तुर्की, फ़ारसी और अरबी जैसे शब्दों में करने लगे और व्यापारी अपनी सहूलियत के हिसाब से इन शब्दों को हिंदी की वाक्य रचना में इस्तेमाल करने लगे।

इस प्रकार तुर्कों और भारतियों के आपस में संपर्क करने की जरुरत ने उर्दू भाषा को जन्म दिया। इस भाषा को दिल्ली के व्यापारियों ने उर्दू नाम दिया क्यूंकि वो सैनिक छावनी से निकले सैनिको की बोली थी।

पहले उर्दू को उर्दू या हिंदवी के रूप में जाना जाता था। जब इसके बोलने वालों की संख्या बढ़ी और इसको कई राज्यों में बोला जाने लगा तो इसके अलग अलग नाम सामने आये।

इसे जबान-ए-हिन्द, जबान-ए-दिल्ली, हिंदी, हिंदवी, हिंदुस्तानी, गुज़री, दक्खनी , जबान-ए-हिन्द, जबान-ए-उर्दू, रेख्ता और जबान-ए-उर्दू-ए मुआला जैसे नामो से पुकारा गया।

अमीर खुसरो जिनको भारत का तोता (तूती-ए-हिंद) भी कहा जाता है वो हिन्दवी, हिन्दी और फ़ारसी में एक साथ लिखने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने उर्दू भाषा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनको उर्दू साहित्य के पिता के रूप में भी जाना जाता है।

उर्दू को विदेशी भाषा क्यों माना जाता है।

उर्दू भाषा की उत्पत्ति, हिन्दी और फ़ारसी भाषा के मिश्रण से हुई थी। उर्दू में अरबी और फ़ारसी के शब्दों का अधिक उपयोग होता है। पाकिस्तान में उर्दू को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा प्राप्त है तथा मुग़ल शासकों के कार्यकाल के समय उर्दू भाषा अपने सवर्णिम दौर में थी।

केवल यही कारण हो सकते हैं कि उर्दू को विदेशी भाषा माना जाता है। अन्यथा उर्दू बोलने में बिलकुल हिंदी की तरह है। उर्दू भारत की 23 आधिकारिक भाषाओं में से एक है।

उर्दू, भारत और पाकिस्तान के अलावा, अफ़ग़ानिस्तान, नेपाल, यूएई, सऊदी अरब और बांग्लादेश में भी बोली जाती है। इसके अलावा उर्दू खाड़ी, पश्चिम यूरोप, मध्य-पूर्व, स्कैंडिनेविया, कनाडा और अमेरिका में भी बोली जाती है।

उर्दू अरबी और फ़ारसी में क्या अंतर है

उर्दू अरबी और फ़ारसी भाषा में अंतर कम और समानताएं ज्यादा हैं। जहाँ तक अंतर की बात की जाये तो उर्दू को सुलेखित नस्तालिक लिपि में लिखा जाता है अरबी को नस्ख शैली में लिखी जाती है जबकि फ़ारसी को अरबी लिपि में लिखा जाता है।

अरबी लिपि में 29, फ़ारसी में 33 जबकि उर्दू में सर्बाधिक 38 वर्ण होते हैं। उर्दू का भाषा परिवार इंडो-आर्यन ,अरबी का भाषा परिवार एफ़्रो-एशियाटिक है जबकि फ़ारसी एक ईरानी भाषा है।

उर्दू में शब्द संस्कृत और प्राकृत से लिए गए हैं साथ में इसमें फ़ारसी के कुछ शब्द भी लिए हैं। अरबी और उर्दू, दाएँ से बाएँ लिखी जाती है जबकि फ़ारसी भाषा बाएँ से दाएँ लिखी जाती है।

अरबी फ़ारसी और उर्दू में गिनती। urdu counting 1 to 10

निष्कर्ष

उर्दू का भगौलिक विस्तार भारत में हुआ और पाकिस्तान बन जाने के बाद ये पाकिस्तान की राष्ट्रीय भाषा बन गई। 1837 में उर्दू भाषा, अंग्रेजी भाषा के साथ लगभग पुरे भारत की आधिकारिक भाषा बन गई थी।

मिर्जा ग़ालिब जैसे कवियों ने अपनी रचनाओं से और ज्यादा मशहूर किया। भारत में इस समय लगभग 10 करोड़ लोग उर्दू को अपनी प्राथमिक या द्वितीय भाषा के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

मुनव्वर राना के शब्दों में

लिपट जाता हूँ माँ से और मौसी मुस्कुराती है
मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूँ तो
हिन्दी मुस्कुराती है

उर्दू एक भारतीय भाषा है और न तो उर्दू के बिना हिंदी बोली जा सकती हैं और न ही हिंदी के बिना उर्दू की 2 लाइन बोली जा सकती है।

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