पंडित जवाहरलाल नेहरू जी का समाधि स्थल दिल्ली में हैं जिसका नाम शांतिवन है। सरदार वल्लभभाई पटेल जी की समाधि गुजरात में साधू बेट द्वीप पर है। लाल बहादुर शास्त्री जी का समाधि स्थल दिल्ली में हैं जिसका नाम विजय घाट है।

महात्मा गाँधी जी के एक से ज्यादा समाधि स्थल हैं ऐसा क्यों हैं ये हम आगे पढ़ेंगे। लेकिन ये सब तो हिन्दू हैं और हिन्दू धर्म के 16 संस्कारों में इनका अंतिम संस्कार दाह संस्कार के रूप में हुआ था मतलब इनके पार्थिव शरीर को जलाया गया था फिर इनकी समाधि कैसे हो सकती है।

ऐसे कई विचार हमारे दिमाग में घूमते रहते हैं। तो आज इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए पहले समझते हैं समाधि स्थल होता क्या है।

नोट:- हिन्दू धर्म में 16 संस्कार माने गए हैं और मृत्यु अंतिम संस्कार माना गया है। हिन्दू समाज में मृतक को जलाने को अंतिम संस्कार कहा जाता है और ये शब्द हिन्दू दर्शन से निकला है। 16 संस्कारों का बर्णन वेदों, पुराणों, गृह्यसूत्र, आयुर्वेद और व्यास स्मृति आदि में मिलता है। हालाँकि अब बहुत कम लोग जानते हैं कि अंतिम क्रिया को अंतिम संस्कार क्यों कहते हैं।

समाधि स्थल क्या होता है

किसी भी महान व्यक्ति की याद और उनके सम्मान में बनाया गया स्मारक, समाधि स्थल कहलाता है। मुख्यत: ये एक कब्र की तरह होता है जो अंदर से खाली होती है। समाधि स्थल उस महान व्यक्ति को याद रखने, श्रधांजलि देने , सम्मान देने और उसके प्रति प्रेम प्रकट करने के लिए बनाया जाता है।

भारत के कुछ मुख्य लोगों की समाधि स्थल का नाम

नामसमाधिस्थल का नाम समाधि का स्थान 
जवाहरलाल नेहरुशांतिवनदिल्ली
इंदिरा गांधीशक्ति स्थलदिल्ली
संजय गांधीशांति वनदिल्ली
राजीव गांधीवीर भूमिदिल्ली
अटल बिहारी वाजपेईसदैव अटल नई दिल्ली
लाल बहादुर शास्त्रीविजय घाटदिल्ली
डॉ भीमराव आंबेडकरचैत्य भूमिमुंबई
डा राजेन्द्र प्रसादमहाप्रायण घाटपटना
ज्ञानी जैल सिंहएकता स्थलदिल्ली
चौधरी देवीलालसंघर्ष स्थलदिल्ली
के.आर. नारायणउदय भूमिदिल्ली
कुछ प्रसिद्ध लोगो के समाधि स्थल

दिल्ली और नई दिल्ली में क्या अंतर है :-

दिल्ली भारत की राजधानी है जबकि नई दिल्ली, दिल्ली के 11 जिलों में से एक जिला है।

दिल्ली के 11 जिले :- उत्तर, उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम, पश्चिम, दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम, दक्षिण-पूर्व, नई दिल्ली, मध्य, शाहदरा, पूर्व हैं। दिल्ली का सबसे छोटा जिला मध्य तथा सबसे बड़ा ज़िला उत्तर-पश्चिम है।

समाधि स्थल के अंदर मृतक का शरीर भी होता है

योग के आठ अंग – 1. यम 2. नियम 3. आसन 4. प्राणायाम 5. प्रत्याहार 6. धारणा 7. ध्यान और 8. समाधि माने गए हैं इस प्रकार समाधि योग का अंतिम चरण है और जो व्यक्ति इन आठों अंगो को पूर्ण कर लेता है वो योगी कहलाता है।

इसलिए नाथों, साधु – संतो, सिद्ध पुरुषों आदि को समाधि की अवस्था में ही दफना दिया जाता है क्यूंकि समाधि को योग का अंतिम चरण माना गया है

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और जिस जगह पर उनको समाधि की अवस्था में दफनाया जाता है वो स्थान उनकी समाधि कहलाता है। इसलिए ऐसे लोगो की समाधियों के अंदर मृतक का शरीर बिद्यमान होता है।

महात्मा गाँधी जी के एक से अधिक समाधि स्थल कैसे हैं।

30 जनवरी 1948 को महात्मा गाँधी जी की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार यमुना किनारे राजघाट पर किया गया था। राजघाट पर इस समय उनका समाधि स्थल है जहाँ पर एक लौ हमेसा जलती रहती है।

महात्मा गाँधी जी का समाधि स्थल राजघाट

महात्मा गाँधी जी के दाह संस्कार के बाद उनकी अस्थियों को उनके परिवारजनो और प्रियजनों में बाँट दिया गया था।

इस प्रकार उनकी कुछ अस्थियों को इलाहबाद में गंगा नदी, कुछ को रामपुर में स्थित कोसी नदी, कुछ को ताप्ती नदी के सतियारा घाट और कुछ अस्थियों को नर्मदा नदी के तिलवारा घाट पर विसर्जित किया गया।

महात्मा गाँधी जी की कुछ अस्थियों को ओडिसा में एक बैंक के लॉकर में रख दिया गया और 1997 में इन अस्थियों को त्रिवेणी संगम में विसर्जित कर दिया गया।

महाराष्ट्र के पुणे में स्थित गाँधी भवन में भी महात्मा गाँधी जी की अस्थियां रखीं हुई हैं और मध्य प्रदेश के रीवा स्थित गाँधी भवन में भी महात्मा गाँधी की अस्थियां रखी गई थीं।

रामपुर के नबाब रजा अली खां महात्मा गाँधी की अस्थियों को मांगकर उत्तर प्रदेश के रामपुर में ले आये थे। पहले तो उनको महात्मा गाँधी की अस्थियां देने से इंकार कर दिया गया था परन्तु उनके तर्कों के आधार पर उनको अस्थियाँ दे दी गई।

उन्होंने कुछ अस्थियों को रामपुर में स्थित कोसी नदी में विसर्जित कर दिया और कुछ अस्थियों को अष्ट धातु से बने कलश में डालकर मकरजी चौराहे पर दफना दिया और वहाँ पर एक समाधि स्थल का निर्माण करवाया।

महात्मा गाँधी जी का समाधि स्थल रामपुर

इस प्रकार रामपुर में भी महात्मा गाँधी जी का समाधि स्थल है जहाँ पर गाँधी जयंती के समय महात्मा गाँधी को श्रद्धांजलि दी जाती है और कई अन्य तरह के कार्यक्रम होते हैं।

नाथू राम गोडसे की अस्थियों का अभी तक नहीं हुआ है विसर्जन

नाथू राम गोडसे जिन्होंने महात्मा गाँधी की 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी उनको 5 नवंबर 1949 को अंबाला सेंट्रल जेल में फांसी दे दी गई लेकिन नाथू राम गोडसे का शव उनके परिवार को नहीं सौंपा गया।

जेल के अधिकारियों ने ही घघर नदी के किनारे उनका दाह संस्कार कर दिया। इसके बाद उनकी अस्थियों को महाराष्ट्र के पुणे में शिवाजी नगर के नाथू राम गोडसे संग्राहलय में रखा गया। इनकी अस्थियाँ यहाँ पर एक चांदी के कलश में डालकर शीशे के केस में रखी हुई हैं।

नाथू राम गोडसे की ये अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियों को सिंधु नदी में प्रवाहित कर दिया जाये परन्तु केवल तब, जब सिंधु नदी पूरी तरह से अखंड भारत का हिस्सा हो।

मतलब साफ़ है वो भारत पाकिस्तान विभाजन से बिलकुल सहमत नहीं थे। तभी से नाथू राम गोडसे की अस्थियाँ अपने प्रवाहित होने का इंतज़ार कर रही हैं।

कब्र क्या होती है

जहाँ किसी को भी मरने के बाद दफनाया जाता है वो जगह कब्र कहलाती है। कब्र एक अरबी शब्द है जिसका मतलब होता है शव के लिए गड्ढा खोदना। कब्र शब्द ज्यादातर मुस्लिम समाज के मृतकों के लिए इस्तेमाल होता है।

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kabristan
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कब्र को इंग्लिश में Grave कहते हैं इसलिए ग्रेव शब्द ईसाईयों के लिए इस्तेमाल होता है। जिस जगह पर कब्रें होती हैं उस जगह को कब्रिस्तान कहा जाता है और कब्रिस्तान को इंग्लिश में Graveyard कहते हैं।

कब्र में दफनाए गए लोगो के लिए ही RIP(rest in peace) का इस्तेमाल 18वीं शताब्दी में शुरू हुआ था।

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