फासीवाद और नाज़ीवाद दोनों तरह की विचारधाराओ का जन्म प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुआ था और दो ऐसे व्यक्तियों के द्वारा हुआ था जो अपने देश, अपने राष्ट्र को प्रगति के पथ पर ले जाता चाहते थे।

परन्तु हिटलर का नाज़ीवाद मुसोलिनी के फासीवाद से कहीं अधिक भयंकर था हिटलर ने अपने धर्म का सरंक्षण करने के लिए लाखों यहूदियों की बलि दे दी।

इन नाजीवाद और फासीवाद क्या है आइये समझते हैं।

What Is Fascism – फासीवाद क्या हैं?

फासिज्म का अर्थ (Meaning of Fascism) – फासिज्म शब्द की उत्पत्ति रोम के शब्द फैसियो (Fascio) से हुई जिसका शाब्दिक अर्थ है ‘राजदंडों’ के समूह’,

प्राचीन काल मे रोम सम्राट जब विजय प्राप्त कर अपनी राजधानी में आते थे तो अपने हाथों में राजदंड़ों का समूह “रखते थे जो उसकी तानाशाही को दर्शाते थे।

अतः फासिज्म का अभिप्राय एकतंत्र या तानाशाही शासन से है जिसमें राज्य सत्ता एक व्यक्ति के हाथ में होती है और जिसकी आज्ञाओं का पालन करना राज्य के सभी नागरिकों के लिए आवश्यक होता है।

इटली में फासीवाद के उदय के क्या कारण थे?

प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात् इटली में आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया। साम्यवादियों ने अशांति फैला दी। देशभक्तों ने राष्ट्र की रक्षा हेतु राष्ट्र संघों का निर्माण किया।

नोट :- साम्यवाद ऐसी व्यवस्था होती है जो ऐसा समाज बनाने का प्रयास करती है जिसमें कोई बर्ग विशेष ना हो और उत्पादन के सारे साधन जनता के नियंत्रण में हों

इन्हीं संघों अर्थात् फासियो से फासिज्म और फासिस्ट दल की उत्पत्ति हुई। मुसोलिनी ने इन संघों को अपने नेतृत्व में संगठित किया और फासिस्ट दल की स्थापना कर दी।

इसके पश्चात् 1922 में शासन-सत्ता अपने हाथ में ले ली। अतः इटली में तानाशाही सत्ता की स्थापना हो गई।

फासीवाद के मुख्य सिद्धांत क्या हैं?

  • फासिज्म लोकतंत्र का विरोधी था और तानाशाही में विश्वास करता था।
  • फासिज्म एक दल और एक नेता में विश्वास करता था।
  • दल का नेता देश में सर्वेसर्वा होता है। वह कानून से ऊपर है। सभी कानूनों पर उसका नियन्त्रण व अधिकार है।
  • फासिज्म व्यक्तिवाद का विरोधी है। वह व्यक्ति की अपेक्षा राज्य को अधिक महत्त्व देता है। व्यक्ति राज्य के लिए है न कि राज्य व्यक्ति के लिए।
  • फासिज्म राष्ट्रीयता और स्वदेशी संस्थाओं पर बल देता है।
  • यह देश की उन्नति के लिए पूंजीपतियों, गरीबों श्रमिकों, किसानों, कारखानादारों और जमींदारों पर समान रूप से नियंत्रण रखने का पक्षधर है।
  • यह देश को शक्तिशाली बनाकर देश का गौरव व सम्मान बढ़ाना चाहता है।
  • वह साम्राज्यवादी नीति का समर्थक है।

प्रो० हेजन के अनुसार, “कानून के पालन करने की भावना उत्पन्न करने और शांति की व्यवस्था बनाने तथा इटली की विभिन्न संस्थाओं को साम्यवाद के विनाशकारी प्रभाव से बचाने के लिए फासिज्म की उत्पत्ति हुई।”

मुसोलिनी ने फासिज्म का प्रचार करके इटली की आन्तरिक दशा में सुधार किया और इटली को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाया।

इस कारण से इटली को विश्व में गौरवपूर्ण स्थान प्राप्त हुआ। परन्तु मुसोलिनी के पतन के साथ ही उसका पतन हो गया।

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नाजीवाद और हिटलर का उदय के क्या कारण थे?

प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार हुई और उसे वर्साय की अपमानजनक संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े। हिटलर को विश्वास था जर्मनी की पराजय का कारण उसके अयोग्य नेता हैं न कि सेना।

इस भावना से प्रेरित होकर हिटलर ने 1919 में ‘सामाजिक जर्मन श्रमिक दल'(National Socialist German Workers) की स्थापना की जो आगे चलकर नाजी पार्टी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

आरम्भ में इसके सात सदस्य थे। परन्तु धीरे-धीरे इनकी संख्या बदलने लगी। यह दल लोकप्रिय होता गया और अन्त में सत्ता को हथियाने में सफल हुआ।

नाजी दल का कार्यक्रम क्या थे जिनको लेकर ये शुरू हुआ था।

  • वर्साय की संधि को नष्ट किया जाये।
  • जर्मनी के उपनिवेश वापिस किये जायें।
  • जर्मनी भाषा बोलने वाले लोगों को मिलाकर विशाल जर्मन राज्य की स्थापना की जाए।

पढ़ने के लिए क्लिक करें .. क्या थी वर्साय की संधि

नाजीवाद के सिद्धांत क्या थे ?

  • सर्वप्रथम हिटलर ने यह उद्घोषणा की कि “जर्मनी में केवल एक ही राजनीतिय दल रहेगा और वह है नाजी अथवा राष्ट्रीय साम्यवादी दल
  • अन्य किसी भी दल को अपने विचारों को प्रकट करने, सभाएं करने एवं किसी भी प्रकार से अपने सिद्धान्तों का प्रचार करने का अधिकार नहीं है।” हिटलर की इस उद्घोषणा के पश्चात् जर्मनी में अन्य समस्त राजनीतिक दलों का नाश हो गया।
  • हिटलर ने सरकारी नीति की आलोचना करने को अपराध घोषित कर दिया।
  • प्रेस, समाचार पत्र एवं पुस्तकों के प्रकाशन आदि की स्वतंत्रता को भी हिटलर ने समाप्त दिया।
  • नाटकों, सिनेमाओं एवं आमोद-प्रमोद के अन्य साधनों एवं रेडियो आदि द्वारा मात्र नाजी का ही प्रचार किया जाता था।
  • जर्मनी के विश्व विद्यालयों एवं शिक्षणालयों पर कड़ा नियन्त्रण रखा और वे नाजी सिद्धान्तों के अतिरिक्त अन्य सिद्धान्तों का प्रचार नहीं कर सकते थे।
  • जिन नाजी विरोधी व्यक्तियों अथवा नेताओं को नाजी दल के लिए घातक समझा जाता , उनको गोली का शिकार बना दिया जाता था। सन् 1934 में नाजी दल के ही 70 सदस्यों को केवल इस कारण गोली से उड़ा दिया गया था क्योंकि वे हिटलर से मतभेद रखते थे।
  • नाजी सिद्धान्तों के विरोधियों को कठोर दण्ड दिये जाने की व्यवस्था की गई, जिस पुरुष या स्त्री पर नाजी विरोधी होने की शंका होती थी, उसको बिना किसी सूचना दिये या बिना मुकदमा चलाये ही अनिश्चित काल के लिए जेलखाने में ठूंस दिया जाता था। देश भर में अनेक कैदखाने इस प्रकार के राजनीतिक कैदियों को रखने के लिए बनाये गये थे।
  • जर्मनी की संसद में मात्र नाजी दल के सदस्यों के निर्वाचन की ही व्यवस्था की गयी थी अन्य कोई भी राजनीतिक दल नाजी सदस्यों के मुकाबले में अपना प्रतिनिधि खड़ा नहीं कर सकता था। संसद के सदस्यों की सूची नाजी दल तैयार करता था और उन्हीं को निर्वाचित घोषित कर दिया जाता था।

इन व्यवस्थाओं के आधार पर हिटलर ने जर्मनी में गणतन्त्रीय सरकार को समाप्त कर दिया, तथा उसकी जगह नाजी दल की सरकार की स्थापना की और स्वयं अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर जर्मनी का अधिनायक बन गया।

संक्षेपण

इस प्रकार हम देखते हैं फासिज़्म और नज़ीज़म दोनों राइट की विचारधारा से प्रेरित थे। दोनों में अंतर से ज्यादा समानताएं थीं।

दोनों ही एक तरह से तानाशाही शासन थे जिसमे राज्य की सत्ता एक ही व्यक्ति के हाथों में होती थी और वो ही राष्ट्र का सर्वेसर्वा होता था।

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