इजराइल और ईरान के बीच अभी-अभी युद्धविराम (ceasefire) हुआ है। कुछ समय तक युद्ध से अलग रहने के बाद, 22 जून 2025 को अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों – नतान्ज (Natanz), फोर्डो (Fordow) और इस्फाहान (Isfahan) – पर B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स और टोमाहॉक मिसाइलों से हवाई हमले किए।
फोर्डो जैसे भूमिगत ठिकानों को नष्ट करने के लिए अमेरिका ने 30,000 पाउंड के “बंकर बस्टर” बमों का भी उपयोग किया, जो इस समय केवल अमेरिका के पास हैं।
अमेरिका पर इस समय $37 ट्रिलियन का कर्ज है, जो किसी भी देश में सबसे अधिक है। फिर भी, उसने मध्य पूर्व के एक देश ईरान पर हमला करने का जोखिम उठाया।
ईरान से अमेरिका की दूरी लगभग 9073 किलोमीटर है। ईरान कुछ भी कर ले, वह सीधे तौर पर अमेरिका का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। फिर भी अमेरिका मध्य पूर्व में इतना क्यों शामिल रहता है? आइये समझते हैं
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Toggleएशिया महाद्वीप को कितने भागों में बांटा जाता है?
एशिया महाद्वीप को कुल 6 भागों में बांटा जाता है
पूर्वी एशिया (East Asia):- चीन, जापान, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, मंगोलिया, हांगकांग, ताइवान
दक्षिण-पूर्वी एशिया (Southeast Asia):- ब्रुनेई, कंबोडिया, लाओस, इंडोनेशिया, म्यांमार, मलेशिया, सिंगापुर, फिलीपींस, तिमोर-लेस्ते , थाईलैंड, वियतनाम
दक्षिणी एशिया (South Asia) :- भारत, पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मालदीव, बांग्लादेश
मध्य पूर्व या पश्चिमी एशिया (Middle East OR Western Asia):- बहरीन, ईरान, साइप्रस, इजराइल, इराक, कुवैत, जॉर्डन, ओमान, लेबनान, कतर, फिलिस्तीन, सीरिया, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, तुर्की, यमन
इसके अलावा मिडिल ईस्ट में आर्मेनिया, अजरबैजान और जॉर्जिया जैसे देश भी आते हैं जिनको कभी कभी यूरोप का हिस्सा माना जाता है। तुर्की भी यूरोप और एशिया दोनों में आता है
मध्य एशिया (Central Asia) :- कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान । ये सभी देश पहले सोवियत संघ (Soviet Union) का हिस्सा थे।
इसके अलावा, कुछ सूचियों में उत्तरी एशिया (North Asia) को भी एक अलग भाग के रूप में शामिल किया जाता है, जिसमें रूस का साइबेरिया आता है।
नोट: क्षेत्रफल के हिसाब से रूस दुनिया का सबसे बड़ा देश है, इस प्रकार उसका एक हिस्सा साइबेरिया इतना बड़ा है कि यह अकेला पूरे के पूरे उत्तरी एशिया को कवर करता है।

मध्य पूर्व में अमेरिका ने अपनी सेना कहाँ-कहाँ तैनात की है?
मध्य पूर्व में अमेरिका के लगभग 40,000 से 55,000 सैनिक तैनात हैं। अमेरिका के मध्य पूर्व में मुख्य तौर पर 8 जगहों पर एयरबेस और सैन्य ठिकाने हैं, जो इस प्रकार हैं

मध्य पूर्व के देशों ने अमेरिका को सैनिक रखने की अनुमति क्यों दे रखी है?
अपने इन्हीं एयरबेस और सैनिक ठिकानों के कारण अमेरिका, ईरान से लगभग 9,000 किलोमीटर दूर होने के बावजूद भी यहाँ पर इतनी आसानी से हमले कर पाया।
जिस तरह से इंदिरा गांधी के समय में भारत ने रूस के साथ द्विपक्षीय समझौता किया था जिसमें यह भी शामिल था कि जब भी भारत पर कोई देश हमला करता है तो वह रूस पर हमला होगा और रूस उनसे युद्ध लड़ेगा
उसी तरह खाड़ी (Gulf) देशों में अधिकतर अमेरिका के साथ द्विपक्षीय समझौतों में हैं। इसलिए, खाड़ी देशों में अधिकतर में अमेरिका के एयरबेस हैं और खाड़ी देश पर हमला अमेरिका पर हमला माना जाता है।
गल्फ देश कौन से हैं? इनको गल्फ देश क्यों कहा जाता है?
गल्फ (Gulf) या खाड़ी देश वे देश हैं जो फ़ारसी खाड़ी (Persian Gulf) के किनारे स्थित हैं। ये देश हैं
- सऊदी अरब
- संयुक्त अरब अमीरात
- कतर
- कुवैत
- बहरीन
- ओमान
नोट:- कभी-कभी इराक को भी खाड़ी देशों की सूची में शामिल किया जाता है क्योंकि इसकी भी फ़ारसी खाड़ी पर एक छोटी सी तटरेखा है।
अमेरिकी हमले में अरब देशों ने ईरान का साथ क्यों नहीं दिया?
ईरान अधिकतर मामलों में अकेला पड़ जाता है और अधिकतर अरब देश मुश्किल समय में उसके साथ खड़े नहीं होते। इसके मुख्य तौर पर जो कारण हैं वो हैं
ईरान एक शिया बहुल देश है, जबकि अधिकतर अरब देश सुन्नी समुदाय से संबंध रखते हैं। एक शिया बहुल देश का इस्लामिक तौर पर संपन्न होना, इनको, इनके अधिकारों पर हमला लगता है।
अधिकतर अरब देश नहीं चाहते कि ईरान एक परमाणु संपन्न देश बनकर उनके लिए खतरा बने।
अधिकतर खाड़ी देशों में अमेरिकी सेनाएँ हैं। ईरान की अमेरिका विरोधी और इजराइल विरोधी नीति अक्सर इन अरब देशों को ईरान के विरुद्ध खड़ा करती है।
ईरान ने हाल ही में अपने पर हुए हमले के जबाब में, कतर (Qatar) में स्थित अमेरिकी एयरबेस अल उदीद (Al Udeid Air Base) पर मिसाइल से हमला किया। क़तर इसे अपने देश पर हुआ हमला मान रहा है।
ईरान 1979 से पहले एक फारसी (Persian) बहुल देश था। अधिकतर अरब देश इनको अभी भी फारसी ही मानते हैं।
हालाँकि, ईरान के कुछ पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध भी हैं।
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मध्य पूर्व अमेरिका के लिए इतना ज़रूरी क्यों है?
मध्य पूर्व अपनी तेल और ऊर्जा उत्पादकता के कारण अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। मध्य पूर्व दुनिया में तेल और गैस के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है।
शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने सोवियत संघ के प्रभाव को रोकने के लिए इस क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाई थी।
होर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण तेल शिपिंग मार्गों में से एक है। अमेरिकी नौसेना की उपस्थिति यह सुनिश्चित करती है कि यह महत्वपूर्ण मार्ग खुला रहे और व्यापार अप्रभावित रहे।
मध्य पूर्व यूरोप, एशिया और अफ्रीका के चौराहे पर स्थित है। यहाँ सैन्य ठिकानों का होना अमेरिका को दुनिया के बाकी हिस्सों तक तेजी से पहुँचने में सक्षम बनाता है।
अल-कायदा, इस्लामिक स्टेट (ISIS) और अन्य आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में भी अमेरिकी एयरबेस का इस्तेमाल किया जाता है।
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