अभी तक दुनिया में 2 विश्व युद्ध हो चुके हैं। द्वितीय महायुद्ध का विश्व की अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा था । इस अवस्था का सुधार करने के उदेस्य से अमेरिका में जुलाई, 1944 में ब्रेटन वुड्स (Bretton Woods) के स्थान पर एक अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन बुलाया गया।
इस सम्मेलन में 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। इस सम्मेलन में यह निश्चित किया गया कि सभी देशों के आर्थिक विकास के लिये दो संस्थाएं स्थापित की जायें।
- अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) तथा
- अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक (International Bank for Reconstruction and Development or World Bank)
मुद्रा कोष का मुख्य उद्देश्य अस्थायी भुगतान सन्तुलन के असन्तुलन को दूर करके विदेशी विनिमय दरों में स्थिरता स्थापित करना था। इसके विपरीत विश्व बैंक अथवा अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक का उद्देश्य दूसरे विश्व युद्ध के फलस्वरूम नष्ट होने बाली अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्निर्माण तथा अल्प विकसित देशों के आर्थिक विकास के लिये पूंजी की व्यवस्था करना था।
इस बैंक ने जून 1945 से अपना कार्य आरम्भ किया। विश्व बैंक एक अन्त: सरकारी (Inter governmental) संस्था है तथा यह एक प्रकार का निगम है।
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Toggleविश्व बैंक के उद्देश्य (Objectives of World Bank)
1. पुनर्निर्माण तथा विकास (Reconstruction and Development)
विश्व बैंक का प्रमुख उद्देश्य युद्ध के फलस्वरूप नष्ट होने वाली अर्थव्यवस्थाओं जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, हालैण्ड आदि के पुनर्निर्माण तथा भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, बर्मा आदि अल्पविकसित देशों को आर्थिक विकास के लिये आर्थिक सहायता प्रदान करना है।
(2) पूंजी निवेश को प्रोत्साहन (Encouragement to Capital Investment)
विश्व बैंक का दूसरा महत्त्वपूर्ण उद्देश्य निजी निवेशकर्ताओं को अल्पविकसित देशों में पूंजी निवेश करने के लिये उत्साहित करना है। इसके लिये बैंक निवेशकर्ताओं को पूंजी निवेश के फलस्वरूप होने वाली सम्भावित हानि स्वयं उठाने की गारन्टी देता है अथवा उनके द्वारा दिये जाने बाले ऋणों में खुद भी भाग लेता है।
यदि निजी पूंजी पर्याप्त मात्रा में उचित शर्तों पर उपलब्ध नहीं होती तो बैंक अपनी पूंजी में से ऐसे देशों को उत्पादन कार्यों के लिये ऋण देता है।
(3)अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहन (Encouragement to International Trade)
इस बैंक का तीसरा उदेस्य अंतरास्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना है। इस बैंक का उदेस्य विदेशी व्यापार के दीर्घकालिक संतुलित विकास के लिए सहायता प्रदान करना है।
(4) शान्तिकालीन अर्थव्यवस्था की स्थापना (Establishment of Peace Time Economy)
विश्व बैंक का चौथा उद्देश्य सदस्य देशों की युद्ध कालीन अर्थव्यवस्था को शान्तिकालीन अर्थव्यवस्था में परिवर्तित करना है।
(5) पर्यावरण सुरक्षा (Environmental Protection)
विश्व बैंक का एक उद्देश्य विश्व के पर्यावरण की सुरक्षा ( Global Environmental Protection) भी है। इस उदेस्य की प्राप्ति के लिए विश्व बैंक उन अल्प विकसित देशों को सहायता प्रदान करता है जो पर्यावरण की सुरक्षा हेतु कार्य करते हैं।
विश्व बैंक की सदस्यता किसे मिलती है (Membership)
कोई भी देश जो मुद्रा कोष का सदस्य है वह विश्व बैंक का भी सदस्य स्वत: ही बन जाता है। जिन देशों में 31 दिसंबर 1945 को मुद्रा कोष की सदस्थता स्वीकार कर ली थी
वे सभी विश्व बैंक के मूल सदस्य (Founder Member) माने जाते हैं। इसके बाद जो भी देश विश्व बैंक के सदस्य बनते हैं।
उन्हें तत्कालीन सदस्यों का दो तिहाई मत प्राप्त करना आवश्य्क होता है। इस समय विश्व बैंक के सदस्य 189 देश हैं। कोई भी देश बैंक को सूचना देकर इसकी सदस्यता त्याग सकता है। यदि कोई देश नियमों का पालन नहीं करता तो उसे सदस्यता से हटाया जा सकता है।
विश्व बैंक में पैसा कहाँ से आता है (Capital of the World Bank)
विश्व बैंक की स्थापना के समय इसकी पूजी 10 अरब डालर थी जो एक-एक लाख ढालर के एक लाख हिस्सों में बंटी हुई थी।
प्रत्येक सदस्य देश को अपने कोटे का 20 प्रतिशत भाग सदस्यता प्राप्त करते ही देना पड़ता है। इसमें से 2 प्रतिशत स्वर्ण के रूप में तथा 18 प्रतिशत सदस्य देश को अपनी मुद्रा के रूप में देना पड़ता है।
शेष 80 प्रतिशत भाग विश्व बैंक जब चाहे सदस्य देश से मांग सकता है। विश्व बैंक की पूंजी को सदस्य देशों की अनुमति से समय-समय पर बढ़ाया गया है। विश्व बैंक की पूंजी के हिस्सों में अमेरिका का प्रथम स्थान है, जापान का दूसरा तथा भारत का आठवां स्थान है।
सन् 2000 में विश्व बैंक की पूजी बढ़कर 18,860 करोड़ डालर हो गई है। इस बैंक की अधिकृत पूजी 19,081 करोड़ डालर है।
बैंक की शेयर पूँजी में सदस्य देशों द्वारा किया गया योगदान इस प्रकार से है।
- 2 प्रतिशत हिस्सा सोना तथा अमेरिकन डालर के रूप में। विज्ञ बैंक इस राशि को स्वतन्त्र रूप से ऋण देने के लिए प्रयोग करता है।
- 18 प्रतिशत शेयर पूंजी अपनी मुद्रा के रूप में। विश्व बैंक द्वारा यह राशि भी ऋण प्रदान करने के लिए प्रयोग की जाती है।
- 80 प्रतिशत शेयर पूँजी बैंक के आग्रह पर देय होती है। बैंक द्वारा यह राशि ऋण प्रदान करने के लिए प्रयोग नहीं की जाती है, परन्तु बैंक इस राशि का प्रयोग अपने उत्तरदायित्वों को निभाने के लिए कर सकता है।
भारत और विश्व बैंक (India and World Bank)
भारत मुद्रा कोष के साथ-साथ विश्व बैंक का संस्थापक सदस्य है। भारत उन 17 देशों में से एक है, जिन्होंने 1944 में ब्रेटन बुडस कान्फ्रेंस का एजेन्डा तैयार किया था।
बैंक की स्थापना के लिये सबसे पहले जिन 44 देशों ने अन्तिम प्रारूप पर हस्ताक्षर किये थे भारत उनमें से एक देश था।
वास्तव में यह कहा जाता है कि इस बैंक के बर्तमान नाम “अन्तर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण तथा विकास बैंक” (International Bank for Reconstruction and Development) का सुझाव भारत ने ही दिया था।
भारत को विश्व बैंक से लाभ
(1) कार्यकारी सदस्य (Executive Director)
भारत कई वर्षों तक संचालक मण्डल का स्थायी सदस्य रहा है।
(2) ऋण (Loans):
भारत को अपनी विकासात्मक योजना के लिये विश्व बैंक से काफी ऋण प्राप्त हुए हैं। सबसे पहले का 1949 में 340 लाख डालर का भारतीय रेलवे को प्राप्त हुआ था।
1994 तक भारत को इस बैंक से 4,200 करोड़ डालर के ऋण प्राप्त हुए हैं। भारत विश्व बैंक का सबसे बड़ा ऋणी (Borrower) है। विश्व बैंक के कुल ऋणों में भारत का भाग 15 प्रतिशत रहा है।
भारत को विशेष रूप से निम्नलिखित परियोजनाओं के विकास के लिए ऋण प्राप्त हुए हैं
- रेलवे
- दामोदर घाटी निगम में बिजली परियोजनायें
- कृषि, मशीनों के आयात
- एयर इण्डिया द्वारा हवाई जहाज खरीदने के लिये
- बन्दरगाहों के निवास के लिये
- महाराष्ट्र की कोयला बिजली परियोजना
- कोयला उद्योग
- टाटा लोहा तथा इस्पात कम्पनी
- भारतीय अंयोगिक विकास बैंक Industrial Development Bank of India
- Industrial Credit and Investment Corporation of India को वित्तीय सहायता
- दूर-संचार
- जलपूर्ति तथा सफाई
- सड़क निर्माण
- पोर्टस् तथा शिपिंग
- समुद्र से पेट्रोल निकालने की योजनायें तथा पेट्रोल शोधन
- सिंचाई योजनायें
- सीमेंट, रवर तथा इलेक्ट्रानिक्स उद्योग आदि।
2000 में विश्व बैंक से भारत को निम्नलिखित ऋण प्राप्त हुए हैं।
Sector | 1993 | 2000 |
Agriculture and Rural Development | ………… | 1895 लाख डालर |
Financial Sector | 2000 लाख डालर | 780 लाख डालर |
Power | 3500 लाख डालर | 6730 लाख डालर |
Mining | 3058 लाख डालर | |
Social Sector | 2753 लाख डालर | |
Total | 7766 लाख डालर | 15208 लाख डालर |
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