इस दुनिया में कई प्रजातियाँ बिलुप्त हो चुकी हैं और कई प्रजातियाँ बिलुप्त होने की कगार पर हैं। लेकिन कुछ प्रजातियाँ ऐसी भी हैं जो बहुत तेजी से बढ़ रही हैं। उन प्रजातियों में मुख्य तौर पर आते हैं बंदर, कुत्ते और इंसान।
इंसान नामक प्रजाति कई धर्मो में बंटी हुई है। कुछ धर्म ऐसे हैं जिनमे बच्चे पैदा करने की होड़ लगी हुई है और कुछ धर्मो में धर्मातरण करने की होड़ लगी हुई है। ये धर्म अपने आप को बढ़ा रहे हैं।
परन्तु कुछ ऐसे धर्म भी हैं जो या तो लुप्त हो चुके हैं या उन पर बिलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे ही धर्मो में एक धर्म है पारसी धर्म। पारसी समुदाय की जनसँख्या लगातार कम हो रही है।
पारसी समुदाय में धर्म परिवर्तन नहीं होता है। कोई भी इंसान जन्म के बाद भी हिन्दू, मुस्लिम,सिख,ईसाई बन सकता है पर पारसी नहीं बन सकता है। इसलिए कहा जा सकता है कि पारसी जन्म से ही हो सकता है। इसी विश्वास पर पारसी बिलकुल समझौता नहीं करना चाहते हैं।
कुछ इतिहासकार मानते हैं कि जब पारसी ईरान से भागकर यहाँ आये थे तो इन्होने भारत में एक समझौता भी किया था इस समझौते के अनुसार पारसी अपने समुदाय के बाहर किसी भी भारतीय से शादी नहीं करते हैं।
मुंबई में पारसियों के लिए परसियाना नामक पत्रिका के संपादक जहाँगीर पटेल ने पारसी समाज की घटती जनसँख्या पर काफी चिंता व्यक्त की है
दुनिया भर में इनकी औसत संख्या 2004 से 2012 के बीच में 10% से भी ज्यादा गिरकर 1 लाख 12 हजार के आस पास रह गई है। आंकड़ों की माने तो भारत में 1941 में इनकी जनसँख्या 1.14 लाख थी जो अब सिमटकर 60000 के लगभग रह गई है।
ईरान के बाद पारसी समुदाय के लिए भारत सबसे बड़ी जगह है जहाँ पर ये लोग रहते हैं लेकिन यहाँ पर आबादी के हिसाब से ये लगातार कम हो रहे हैं।लेकिन पारसियों की जनसँख्या लगातार कम क्यों हो रही है आइये समझते हैं।
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Toggleपारसियों की घटती आबादी का कारण
- समुदाय के बाहर शादी न करना
- देर से शादी करना
- अविवाहित रहना
- शादी विवाह के मामले में परम्परागत होना
- सिर्फ एक बच्चे का चलन
- शादी के लिए लड़कियों की न्यूमतम आयु 27 तथा लड़को की न्यूनतम आयु 31 बर्ष होना
पारसियों में समुदाय से बाहर शादी करने वालो के लिए कड़े नियम
देखा जाए तो पारसी आबादी इतनी कम है कि पारसी लोगो को शादी के लिए पारसी लड़का या लड़की नहीं मिलती है और समुदाय से बाहर शादी करने पर उनको अलग थलग कर दिया जाता है। इन कड़े नियमो के चलते ये समुदाय धीरे धीरे कम हो रहा है।
कोई लड़की अगर बाहर के किसी लड़के से शादी करती है तो पारसी समुदाय उसे बेदखल कर देता है और अगर कोई बाहर की लड़की पारसी लड़के से शादी करके यहाँ आती है तो उसे और उसके बच्चों को पारसी होने का हक़ नहीं दिया जाता है।
पारसी औरत अपने धर्म के बाहर के किसी आदमी से शादी कर ले तो उसके बच्चों को पारसी लोग अलग थलग रखते हैं यहाँ तक कि उनको पूजा स्थल से लेकर मृत्यु की जगह जिसे टावर ऑफ़ साइलेंस कहा जाता है वो भी नसीब नहीं होती है।
पारसी लोग या तो अविवाहित रहते हैं या उनमे एक बच्चे का चलन है
हर साल मुंबई में करीब 850 फ़ारसी लोगो की मृत्यु होती है परन्तु 850 लोगो के मुकाबले केवल 200 बच्चे ही जन्म लेते हैं। इसका मुख्य कारण ये भी है कि पारसी लोग शादी और बच्चा पैदा करने की तरफ ज्यादा रूचि नहीं लेते हैं। इसका कारण पारसी लोगो का पढ़ा लिखा होना और एक बिकसित माहौल में रहना हो सकता है।
मुंबई की एक गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर अनाहिता पंडोले ने कहा था कि पारसी लोग अक्सर 35 की उम्र में बच्चे पैदा करने के बारे में सोचते हैं और ये सही दिशा में एक कदम है।
ईरान में क्यों कम हो रही है पारसियों की जनसँख्या
ईरान में 1979 में इस्लामिक क्रांति के बाद फारसियों के मंदिरो से जरथुस्त्र जो की फारसियों के पैगम्बर थे उनकी मूर्तियों को हटा दिया गया।और पारसी पूजा स्थलों के अंदर दीवारों पर पैगंबर मुहम्मद की तस्वीर लगा दी गई।
शिक्षा संस्थानों में भी पारसियों के लिए कोई जगह नहीं बची थी। ईरान में अब भी पारसी लोग अपनी पहचान बचा कर रहने को मजबूर हैं। इस वजह से उनकी संख्या कम हो रही है। जो लोग अभी भी बचे हैं वो लोग बाहरी दुनिया से अपने आपको अलग थलग करके रखते हैं। और बाहरी लोगों से मेल मिलाप में कोई खास रूचि नहीं दिखाते हैं।
पारसियों की आबादी बढ़ाने के लिए भारत सरकार की जिओ पारसी योजना
पारसी समुदाय भारत के सबसे बिकसित समुदाय में शामिल है। टाटा बाडिया और गोदरेज जैसी कम्पनिया पारसी घराने की ही देन हैं। लेकिन इन सबके वाबजूद पारसी समुदाय आज सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा है और इस पर बिलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है।
इसको लेकर भारत सरकार ने भी चिंता जाहिर की है और इस समुदाय के बचाव के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय( Ministry of Minority Affairs) और Parzor Foundation ने जियो पारसी नाम की अभियान 2013 में शुरू किया। केंद्र सरकार ने इसके लिए 10 करोड़ रूपये दिए थे।
पारसी समुदाय के लोग इस योजना के तहत जनन क्षमता वाले ऐसे लड़के लड़कियों की तलाश करते हैं और फिर उनके माता पिता से आज्ञा लेकर उनका मेडिकल परीक्षण किया जाता है। इस योजना की पूरी जानकारी Parzor फाउंडेशन की साइट पर देखी जा सकती है।
इसके अलावा बैबाहिक सम्मेलन का आयोजन करना और समय समय पर कम्युनिटी के लोगो का मेडिकल टेस्ट करवाना, सोशल मीडिया से जोड़ना तथा फिल्में आदि उपलब्ध करवाना भी इनका काम रहता है।
Parzor Foundation के बारे में
Parzor एक नॉन प्रॉफिट आर्गेनाईजेशन है जो कि पारसी जोरास्ट्रियन की भलाई के लिए काम करता है। उनके अनुसार पारसी समुदाय भारत की संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। इन्होने भारतीय बिरासत, सामाजिक और बितीय विकास के लिए बहुत कुछ किया है ऐसे में पारसियों को बचाये रखना यहाँ की सरकार और पारसियों की जिम्मेदारी है।
Parzor सरकार के साथ मिलकर पारसियों की जोरास्ट्रियन पढाई, कला, संस्कृति और समाज को बढ़ावा देती है। नवंबर 2013 में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट वाली जियो पारसी योजना शुरू की गई। योजना के अनुसार संतान के इच्छुक पारसी दम्पति को IVF या IUI ईलाज के लिए 5 लाख रूपये दिए जाते हैं। इस प्रयास में कितनी बार की बन्दिस नहीं है।
इस योजना का इंचार्ज गायनोकोलॉजिस्ट डॉक्टर अनाहिता पंडोले को बनाया गया था। मुंबई में इस योजना का अच्छा असर देखने को मिला।
पारसी समुदाय के फरहाद मिस्ट इस योजना के तहत 2017 में पिता बने। उन्होंने पिता बनने के बाद मीडिया में बातचीत में कहा था कि ये गजब का अनुभव है हम 7 महीने के बच्चे के माता पिता हैं और इस योजना ने हमारी काफी मदद की।
पारसी अपने ही धर्म में शादी करते हैं और दूसरे धर्म में शादी करने पर उन्हें समुदाय से बाहर निकाल दिया जाता है इस दबाब के चलते 1970 -1980 के दशक में कई पारसी युवाओं ने शादी नहीं की। इस वजह से उनकी आबादी कम हो रही है। जिओ पारसी स्कीम के तहत पारसियों को कुछ हस्पतालों में फ्री चाइल्ड डिलीवरी संबधिंत ईलाज दिया जा रहा है।
और इसके तहत सरकार मेडिकल टेस्ट से लेकर हस्पताल तक का खर्चा भी उठाती है। अभियान के तहत मार्केटिंग कम्पैन भी छेड़ा गया है। एक विज्ञापन कहता है कि जिम्मेबार बने आज रात कंडोम का इस्तेमाल न करें। जियो पारसी योजना के तहत 2014 में 16 बच्चों का जन्म हुआ था।
2015 में 38, 2016 में 28, 2017 में 58, 2018 में 38, 2019 में 59, 2020 में 61 बच्चों का जन्म हुआ था। योजना के शुरू होने से अब तक 321 बच्चों का जन्म हो चुका है।
लेकिन इस योजना की ये खामी है कि जियो पारसी योजना उन पारसी लोगो के लिए नहीं है जो समुदाय के बाहर शादी करते हैं।
पारसियों का द बॉम्बे पंचायती संगठन
द बॉम्बे पंचायती संगठन जो कि पारसियों की एक संस्था है इसके ट्रस्टी खोजेस्टे मिस्त्री हैं ये संगठन पारसी धर्म के लिए काम कर रहा है। ये संगठन 5500 मकानों को सस्ती दरों पर केवल पारसी समुदाय को देती है। लेकिन इनमे से एक महत्वपूर्ण बात ये है कि समाज से बाहर शादी करने वालों को ये किसी प्रकार की कोई मदद नहीं करता है।
पारसी समुदाय को बचाने के लिए पारसी फ्लिप कैलेंडर जिसमे सुन्दर पारसी लड़कियों की फोटो होती हैं, स्पीड डेटिंग नाइट्स और बहुत से अन्य सोशल इवेंट्स भी किये जा रहे हैं। जिससे पारसी लोग अपने धर्म और अपनी संस्कृति को पहचान सकें।
फ़ारसी कैसे और क्यों बने भारत के शरणार्थी पढ़ने के लिए क्लिक करें
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