

ज्योतिराव और सावित्रीबाई फुले -महिलाओं के लिए खोले स्कूल के दरवाजे
किसी भी काम को करने का सबसे कठिन समय तब होता है जब उसे पहली बार किया जाता है और बात जब बर्षों से दिमाग में बैठी रूढ़ियों को तोड़ने की हो तो ये लगभग नामुनकिन हो जाता है। क्यूंकि ऐसा करते समय बिना दिमाग की उस भीड़ से भी लड़ना होता है जो अपने दिमाग से संचालित नहीं होती