अमेरिका का नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में आता है एक ऐसा देश जो सुपर पावर है, जो दुनिया पर राज करता है, अमेरिकी डॉलर, आरामदायक जीवनशैली और न जाने क्या क्या। लेकिन क्या सच में अमेरिका में जिंदगी इतनी आसान है। क्या वहां पर लड़कियाँ बाकि देशों की तुलना में अधिक सुरक्षित होती हैं।
क्या अमेरिका में भी भ्रष्टाचार होता है। क्या अमेरिका में केवल अमीर लोग रहते हैं । क्या अमेरिका में कोई क्राइम नहीं होता। क्या सच में अमेरिका एक समृद्ध देश है। आज तक तो यही सुना था आज हम अमेरिका के उस चेहरे के बारे में बताने जा रहे हैं जो दुनिया से छुपाया गया।
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Toggleअमेरिका में गरीबी का स्तर क्या है
यूनिवर्सिटी ऑफ़ शिकागो की 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में ऐसे बहुत से लोग हैं जिनकी दिन की आमदनी 2 डॉलर से भी कम है यानि भारत के 150 रूपये से भी कम।
6 लाख से अधिक लोगों को अभी भी सड़को पर सोना पड़ता है। अमेरिका में बसे भारतीय और चीनी लोगो की सालाना आमदनी अमेरिका से कई गुना ज्यादा है।
अमेरिका में बसे भारतीयों की औसत सालाना आमदनी वहाँ पर लगभग 1 लाख 20 हजार डॉलर है जबकि एक अमेरिकन की औसत सालाना आमदनी 60 हजार डॉलर के लगभग है। इसके लिए अमेरिका की संस्कृति, जिसमे पैसा कम बचाना और खर्चा ज्यादा करने को जिम्मेदार माना जाता है।
अमेरिका की आबादी 33.33 करोड़ के लगभग है परन्तु अमेरिका में बेरोजगारी 18% है जबकि भारत जैसे देश में जहाँ लगभग 140 करोड़ लोग रहते हैं वहाँ पर ये आंकड़ा 21% है। अमीर और अधिक अमीर होते जा रहे हैं तथा गरीब और अधिक गरीब।
न्यू अमेरिका फाउंडेशन में एसेट फाउंडेशन बिल्डिंग के निर्देशक रीड क्रामेर का कहना है कि मंदी के बाद अमरीका में आई गरीबी अपने ऐतिहासिक स्तर तक पहुँच चुकी है जिसे पार पाने में कम से कम 40 साल लग जाएंगे और वो भी तब जब इन 40 सालों में अमेरिका कोई भी पेन्डामिक, प्राकृतिक आपदा या युद्ध का सामना नहीं करता है तो।
इस प्रकार अमेरिका दुनिया का सबसे अमीर देश होने के साथ साथ अमीरी और गरीबी में सबसे अधिक असमानता बाला देश है।
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर का काला सच। कैसा है न्यूयोर्क शहर।
अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर के बारे में सुनते हैं तो सबसे पहले दिमाग में आता है गगनचुम्बी इमारतें, सबसे बढ़िया पीज़ा, सबसे बड़ा संग्रहालय, नदियां, झीलें, झरने और स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी। एक ऐसा शहर जो किसी सपनो की दुनिया से कम नहीं। लेकिन न्यूयोर्क का एक ऐसा घिनोना सच भी है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं।
न्यूयोर्क के ब्रुकलिन, ब्रोंक्स, क्वींस, मैनहट्टन, और स्टेटन द्वीप में ऐसी कोई जगह नहीं है जहाँ गैंगस्टर और माफिया का डेरा ना हो। ओपन ड्रग डील, अजीव से लोगों का आपके पीछे आना, अजीव सी गंध, हर अँधेरी गली में घुसने के पहले का खौफ – इन चीज़ों का सामना केवल टूरिस्ट ही नहीं न्यूयोर्क के लोग भी अपनी रोज़मर्रा की जिंदगी में करते हैं।
न्यूयोर्क शहर दुनिया के चुनिंदा उच्चतम क्राइम रेट वाले शहरों में एक है जहाँ पर रास्ते पर चलते हुए, ट्रेन में और छोटी सुनसान गलियों में पूरी तरह से चौकन्ना रहना पड़ता है क्यूंकि कोई भी यहाँ आपको दिन दहाड़े लुट सकता है। 1980 से लेकर 1990 तक तो यहाँ पर एक दिन की लगभग 7 से 8 हत्याएं होती थीं।
2018 तक ये हत्याएं कम तो हुई परन्तु पेन्डमिक के बाद यहाँ पर क्राइम के मामले फिर से बढ़ते हुए नज़र आ रहे हैं।
न्यूयोर्क में भ्र्ष्टाचार
न्यूयोर्क के पुलिस डिपार्टमेंट में भ्र्ष्टाचार अपने चर्म स्तर पर है। न्यूयोर्क में ऐसे कई वाक्या हुए हैं जिनमे पुलिस अधिकारी खुद कई रॉबरी, ड्रग डील, भर्ष्टाचार या मर्डर में शामिल रहे हों । जैसे 1962 में फ्रैंक लीनो को 2 ऑफिसियल डिटेक्टिव को गोली मारने के जुर्म में गिरफ्तार किया था जो टोबेको स्टोर के कुछ गैरकानूनी कामो का पता लगा रहे थे जिसमे फ्रैंक लीनो खुद भी शामिल था।
साल 1975 में एक इस्राइली युवक को पुलिस ने पीट पीट कर मार डाला। न्यूयोर्क में बहुत सारे पुलिस अधिकारी जुआ खेलने, वेश्यावृत्ति, रिश्वत लेने और ड्रग के व्यापार जैसे मामलों में पकडे जाते हैं।
न्यूयोर्क की सड़को पर चलते हुए सड़े हुए खाने, कचरे, मरे हुए चूहे और शौचालय जैसी बदबू का सामना करना पड़ता है। गंदगी के मामले में न्यूयोर्क शहर गंदे से गंदे शहरों को भी पीछे छोड़ देता है।
कर्ज में डूबा एक देश अमेरिका
अमेरिका पर इस समय 34 हजार अरब डॉलर का कर्ज है और अगले 4 सालों में इसके और अधिक बढ़ने की उम्मीद है। अमेरिका के परमाणु बम्ब से तबाह होने वाले देश जापान का अमेरिका पर इतना क़र्ज़ है कि अगर जापान इक्कठे सारे पैसे मांग ले तो अमेरिका अपाहिज हो जाये।
अमेरिका के लोग दुनिया के सबसे खर्चीले लोगो में से एक हैं। ये जो भी हफ्ते में कमाते हैं सप्ताह के अंत में उसको खर्च कर देते हैं। दुनिया भर में एक कहाबत चलती है कि जब अमेरिकन खरीददारी करने निकलते हैं तो बाजार छोटा पड़ जाता है। इस कारण अमेरिकन बाकि देशों को भी अपने उत्पाद बेचने के लिए प्रेरित करते हैं।
अमेरिकी सांसद ने देश के बढ़ते क़र्ज़ के मद्देनज़र 1.9 ट्रिलियन डॉलर के राहत पैकेज का विरोध किया है। अमेरिकन सांसद ने US कांग्रेस में जो रिपोर्ट रखी है उसके अनुसार अमेरिका के प्रत्येक नागरिक पर इस समय 80 हजार डॉलर का कर्ज है।
साल 2000 में अमेरिका पर केवल 6 ट्रिलियन डॉलर का ही क़र्ज़ था जो ओबामा के शासनकाल में बढ़कर दुगना हो गया था जो अभी भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अमेरिकन सांसद की एक और रिपोर्ट के मुताबिक अगर अमेरिका ऐसे ही कर्ज़ा लेता रहा तो साल 2050 तक ये कर्ज बढ़कर 104 ट्रिलियन डॉलर हो जायेगा।
अमेरिका ने अफगानिस्तान में सैन्य अभियान में पानी की तरह बहाया पैसा
साल 2001 में अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमला हुआ था जिसमे ओसामा बिन लादेन और अल कायदा के लोग शामिल थे। ये लोग अफगानिस्तान में थे इसलिए अमेरिका ने अफगानिस्तान के साथ युद्ध छेड़ दिया। इस युद्ध में अमेरिका ने अरबों डॉलर खर्च कर दिए। 2002 से 2019 तक अमेरिका ने इस युद्ध पर लगभग 780 अरब डॉलर खर्च किये हैं। इसके साथ ही अमेरिका ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण पर 144 अरब डॉलर खर्च किये थे।
उन दिनों अमेरिका ने अपने सैन्य अभियानों के लिए पाकिस्तान को एक अड्डे की तरह इस्तेमाल किया था। और इसलिए अमेरिका को अरबो डॉलर का किराया पाकिस्तान को भी देना पड़ा।
अमेरिका की हेल्थ पालिसी का फेलियर
अधिकतर लोगो को ये लगता है कि अमेरिका में लोगो को न तो एजुकेशन का पैसा देना पड़ता है और न ही हॉस्पिटल का। वहाँ तो उनकी देखभाल गवर्नमेंट ही करती है तभी तो अमेरिका के लोगो को पैसा बचाने की जरुरत ही नहीं पड़ती। परन्तु ये सब झूठ है
अमेरिकन को उनकी सरकार ऐसी कोई भी लक्ज़री नहीं देती है। जबकि इन्सुरेंस के नाम पर लोगो से इतना पैसा लिया जाता है की उसकी EMI भरते भरते ही लोगो को डिप्रेशन जैसी बीमारियां घेर लेतीं हैं। जो फैंसला लोगो को लेना चाहिए कि उनकी कौन सी इन्सुरेंस पालिसी होनी चाहिए उसका फैंसला सरकार लेती है।
जो प्राइवेट इन्सुरेंस कंपनी अपनी पालिसी के साथ ऊपर आ रही थी उन्हें गवर्नमेंट हेल्थ इन्सुरेंस मैंडेट करके दबा दिया गया। 2022 में हर व्यक्ति को महीने का 480 डॉलर का हेल्थ इन्सुरेंस प्रीमियम भरना जरुरी था और ये पालिसी 39 राज्यों में लागु थी। इस प्रकार जो भी व्यक्ति इन्सुरेंस लेना चाहता था उसके पास दूसरा कोई विकल्प था ही नहीं।
अब जिसने ये पालिसी ली है उसे मेडिकेट पर डाल दिया जाता है जिसका मतलब है कि उनके पास इन्सुरेंस है भी या नहीं ऐसा स्टेटस ऑनलाइन शो होता है। इस प्रकार डॉक्टर ये स्टेटस देखकर मरीज पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और मरीज का वेटिंग टाइम भी बहुत ज्यादा होता है। इमरजेंसी केस में भी लोगो की कई कई दिनों तक इंतज़ार करना पड़ता है।
साथ ही मेडिकल स्टाफ और डॉक्टर की कमी हमेशा से ही अमेरिका की सबसे बड़ी समस्या रही है।
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