भारत के पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, कुल चार युग माने गए हैं: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग। अभी जो चल रहा है वो कलयुग है। कलयुग के बारे में माना जाता है कि इसमें भ्रष्टाचार, बेईमानी और अनैतिकता का बोल बाला रहेगा।

ये बात कई जगहों पर सच भी साबित होती है जब कई जगहों पर पलक झपकते ही लोगों की बाइक तक चोरी हो जाती है। जेबें काट ली जाती हैं। घरों से कीमती सामान तक चोरी हो जाता है।

लेकिन भारत में कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहाँ पर आज भी कई व्यवसाय केवल ईमानदारी के सहारे चलते हैं। ऐसे ही स्थानों में से एक है मिजोरम का छोटा सा शहर सेलिंग। अगर हाईवे (NH-6 ) का रास्ता पकड़ें तो ये स्थान मिजोरम की राजधानी आइजोल से लगभग 36 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

सेलिंग में दुकानों पर आपको कोई दुकानदार नहीं मिलेगा। यहाँ के किसान अपने खेतों के फलों, सब्जियों तथा अन्य चीज़ों को दुकान पर रख देते हैं। जो चीज़ें लिफाफे में रखी होती हैं उनके लिफाफे पर रेट लिखे होते हैं।

और कुछ पपीता जैसे फल जो बिना लिफाफे के ही रखे होते हैं उन फलों पर ही मार्कर से रेट लिख दिया जाता है। हर दुकान पर पैसे डालने के लिए एक बॉक्स या बैग होता है लोग वहां पर लगी रेट लिस्ट के अनुसार उसमें पैसे डाल देते हैं। इस बिना दुकानदारों की दुकानों को मिजोरम की स्थानीय भाषा में ‘नगाह लोह द्वार’ कहा जाता है।

हैरानी की बात है कि शाम को जब दुकानदार अपने पैसे वाले बॉक्स को चेक करते हैं तो उनको बक्सों में पैसा, उनकी बिकी हुई चीज़ों से ज्यादा ही मिलता है। जब इसके बारे में सैलानियों को पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ये परम्परा हमें काफी आकर्षित करती है और यही वो चीज़ है जिसे देखने वो यहाँ आते हैं इसलिए वो पैसे, मूल्य से ज्यादा ही डालते हैं। ये परम्परा मिजोरम में काफी समय से प्रचलन में है।

मिजोरम की ईमानदारी इसलिए भी हैरान करती है क्यूंकि एक तो मिजोरम 2 देशों – म्यांमार और बांग्लादेश के साथ सीमा साँझा करता है और दूसरा ये राज्य, भारत के सबसे पढ़े लिखे राज्यों में आता है।

2011 की जनगणना के अनुसार, मिजोरम, भारत में साक्षरता के मामले में तीसरे स्थान पर था। परन्तु “राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय” (NSSO) जैसे हाल ही के सर्वेक्षणों के अनुसार , मिजोरम अब 98.2% की साक्षरता दर के साथ पहले स्थान पर है।

इस प्रकार ये बात नहीं है कि यहाँ पर अनपढ़ लोग रहते हों इसलिए यहाँ पर ईमानदारी जिन्दा है बल्कि ईमानदारी यहाँ के लोगो के रोम रोम में बसी हुई है।

इन्होने ये साबित किया है कि सतयुग और कलयुग केवल दिमाग में बसते हैं और अगर केवल अपने बच्चों को ही ईमानदारी के गुण सिखाएं जाएं तो दुनिया को बेहतरीन बनाया जा सकता है।

आइये मिजोरम के बारे में कुछ रोचक बातें जानते हैं।

जानकारीविवरण
पढ़ाई में स्थान2011 की जनगणना के अनुसार, यह 91.33% साक्षरता दर के साथ देश में तीसरे स्थान पर
जनसंख्या2011 की जनगणना के अनुसार, मिजोरम की जनसंख्या 10,97,206 है
राजधानीआइजोल (Aizawl)
धार्मिक जनसंख्या2011 की जनगणना के अनुसार: ईसाई बहुल : 87% ईसाई
अंतर्राष्ट्रीय सीमाएँ1. म्यांमार (पूर्व और दक्षिण में) 2. बांग्लादेश (पश्चिम में)
सरकारज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM) -दिसंबर 2023 से
वर्तमान मुख्यमंत्रीश्री लालदुहोमा
मुख्य भाषामिजो (Mizo)

मिजोरम भारत में कहाँ स्थित है और कौन कौन से राज्य इसके पड़ोसी हैं।

मिजोरम भारत के उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। मिजोरम 1972 तक असम का हिस्सा था उसके बाद इसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया और 1987 में मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया। भारत के नार्थ ईस्ट (उत्तर-पूर्व) में कुल 8 राज्य हैं। इनको 7 सिस्टर्स (7 बहने ) और एक भाई भी कहा जाता है।

ये सात बहनें ये हैं:

  • अरुणाचल प्रदेश
  • असम
  • मणिपुर
  • मेघालय
  • मिजोरम
  • नागालैंड
  • त्रिपुरा

8वां राज्य सिक्किम है जिसे भाई का दर्जा प्राप्त है। सिक्किम इस समय 100% जैविक खेती को अपना चुका है तथा नार्थ ईस्ट के बाकि राज्य भी धीरे धीरे इसकी तरफ अग्रसर हैं।

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मिजोरम जाने के लिए भारत के बाकि राज्य के नागरिकों को लेना पड़ता है परमिट

मिजोरम जाने के लिए भारत के बाकी राज्यों के लोगों को एक परमिट लेना पड़ता है इसे इनर लाइन परमिट (Inner Line Permit) कहा जाता है। इनर लाइन परमिट (ILP) में यह साफ़-साफ़ बताया जाता है कि मिजोरम घूमने या रहने आना बाला व्यक्ति कितने दिनों तक मिजोरम में रह सकता है । यह परमिट एक निश्चित अवधि के लिए जारी किया जाता है।

परमिट का समयकाल

पर्यटकों के लिए आमतौर पर ये (ILP) परमिट 15 दिनों के लिए वैध होता है, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है।

जो लोग नौकरी या व्यवसाय के लिए जा रहे हैं, उन्हें 6 महीने या 1 साल तक का ILP मिल सकता है, जिसे ज़रूरत पड़ने पर फिर से रिन्यू (renew) कराया जा सकता है।

परमिट में दी गई अवधि समाप्त होने के बाद, लोगों को मिजोरम से जाना पड़ता है या फिर उसे समय पर रिन्यू कराना पड़ता है। इसका उद्देश्य बाहरी लोगों को यहाँ बसने से रोकना है ताकि यहाँ की संस्कृति को सरंक्षित किया जा सके।

इनर लाइन परमिट (ILP) कैसे मिलता है?

ILP दो तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है

ऑनलाइन आवेदन: मिजोरम सरकार की आधिकारिक वेबसाइट (https://ilp.mizoram.gov.in/ ) पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

ऑफ़लाइन आवेदन: ILP के लिए कोलकाता, सीलाचर, शिल्लोंग,गुवाहाटी और नई दिल्ली में स्थित मिजोरम हाउस के कार्यालयों में जाकर भी आवेदन किया जा सकता है।

नोट :- ILP के बिना मिजोरम में प्रवेश करना गैर-कानूनी माना जाता है।

असम और त्रिपुरा के लोगो के लिए: असम के कछार, हैलाकांडी, करीमगंज जिलों और त्रिपुरा राज्य से आने वाले पर्यटकों को अपने मतदाता सूची का विवरण देना आवश्यक होता है, क्योंकि इन क्षेत्रों की बांग्लादेश के साथ सीमाएँ खुली हुई हैं।

चेक गेट पर ILP: मिजोरम में प्रवेश करते समय चेक गेटों पर ILP जारी नहीं किया जाता है।

विदेशी पर्यटकों के लिए ILP

सभी विदेशी नागरिकों को आगमन के 24 घंटों के भीतर पुलिस अधीक्षक (SP) के कार्यालय में पंजीकरण कराना होता है।

अफगानिस्तान, चीन और पाकिस्तान के नागरिकों को मिजोरम में प्रवेश करने से पहले गृह मंत्रालय की पूर्व अनुमति लेनी होती है।

ILP की व्यवस्था नार्थ ईस्ट में कब शुरू हुई थी

इनर लाइन परमिट (ILP) की शुरुआत अंग्रेजो के समय में हुई थी। यह बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन, 1873 के तहत शुरू किया गया था। उस समय ब्रिटिश सरकार नार्थ ईस्ट में चाय, तेल और हाथियों आदि का व्यापार करते थे।

ILP का उदेस्य स्थानीय निवासियों को ब्रिटिश सरंक्षित क्षेत्रों में व्यापार करने से रोकना था ताकि ब्रिटिश सरकार की मोनोपोली (एकाधिकार) को स्थानीय निवासियों से कोई खतरा न हो सके।

भारत ने आजादी के बाद इस ILP को जारी रखा बस इसका उदेश्य बदल गया अब इसका उदेश्य नार्थ ईस्ट की संस्कृति की रक्षा करना था। वर्तमान में, यह नियम अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर में लागू है।

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